गोपाल बाबू गोस्वामी का ये गीत सुन भावुक हुए श्रोता,आज भी पहाड़ों में गूंजते हैं सुर।

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उत्तराखंडी लोकसंगीत के हिमालय सुर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी के गीत आज भी पहाड़ों में गूंजते हैं,मधुर कंठ के धनी अमरलोकगायक गोपाल गिरी गोस्वामी ने जिस भी गीत पर सुर छेड़े वो गीत अजर अमर हो गया,देवभूमि उत्तराखंड की पहचान बना ‘बेडू पाको बारामासा’आज पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है इस गीत को स्वर्गीय मोहन उप्रेती और बृजमोहन शाह के संगीत में गोपाल बाबू गोस्वामी ने इस गीत को अपनी आवाज दी थी।

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स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी की संगीत विरासत को उनके सुपुत्र रमेश बाबू गोस्वामी भली भांति संभाल रहे हैं,बीते दिनों रमेश बाबू गोस्वामी ने अपने ऑफिसियल चैनल से गोपाल बाबू गोस्वामी का लोकप्रिय गीत ‘नानी भौ भखै’ रिलीज़ किया,ये गीत उस दौर में लिखा गया जब पहाड़ी परिवेश में महिलाएं दिन भर खेती और जंगल के काम काज में व्यस्त रहती थी और सूरज डूबने तक भी घर नहीं लौटती थी,एक माँ की अनुपस्थिति में जब बच्चा भूख से रो रहा होता है तो पिता ऐसे गीत गाता है कि बच्चा यहाँ भूख से बेचैन हो रखा है जल्दी घर आ जाओ।

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समय चाहे कितना भी बदले लोकसंगीत हर पीढ़ी के श्रोताओं को सुकून पहुंचाता है,रमेश बाबू गोस्वामी नई पीढ़ी के श्रोताओं को ऐसे गीत पहुँचाने का सराहनीय कार्य कर रहे हैं,श्रोताओं की प्रतिक्रियाओं ने उनके इस प्रयास को सफल बना दिया।गोपाल बाबू गोस्वामी के गीत आज भी संगीतप्रेमियों को उनकी मौजूदगी का एहसास कराते हैं,कैले बाजे मुरुली,हिमालय को ऊँचा डांडा,हाये तेरी रुमाला जैसे कई गीत आज भी श्रोता सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

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यहाँ सुनिए गीत:

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