रुद्रप्रयाग की महिलाएं बदल रही हैं पहाड़ की तस्वीर: आत्मनिर्भर उत्तराखंड की नई कहानी

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कभी पारिवारिक जिम्मेदारियों और खेतों तक सीमित रहने वाली पहाड़ की महिलाएं आज उत्तराखंड के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में नई इबारत लिख रही हैं। राज्य सरकार के “आत्मनिर्भर उत्तराखंड” अभियान ने उनके जीवन को नए आयाम दिए हैं—जहां हुनर, आत्मसम्मान और उज्जवल भविष्य की राह खुली है।

“ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना” के अंतर्गत जनपद रुद्रप्रयाग की महिलाएं अब अपने सपनों को पंख दे रही हैं। स्थानीय रूप से उपलब्ध जैविक सामग्रियों का उपयोग कर ये महिलाएं अब अगरबत्ती, धूपबत्ती और पारंपरिक हस्तशिल्प जैसी चीज़ों का निर्माण कर रही हैं, जिन्हें न सिर्फ क्षेत्रीय बाजार में बल्कि ऑनलाइन माध्यमों से देशभर में बेचा जा रहा है।

“जय नारी सहायता समूह” की सुषमा देवी ने अपने गाँव की पाँच अन्य महिलाओं के साथ मिलकर जैविक धूपबत्ती निर्माण की शुरुआत की। नीम, पीपल, गुलाब, गेंदा, आम और कंडुजू की लकड़ियाँ जैसे पहाड़ के प्राकृतिक संसाधन अब उनके लिए आमदनी का स्थायी स्रोत बन चुके हैं।

 

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वहीं, “उन्नति स्वायत्ता सहकारिता सहायता समूह” की गीता बेलरा बताती हैं कि RCTC से उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण मिलने के बाद उनकी टीम ने 10 ग्राम सभाओं और 11 ग्राम संगठनों को इस पहल से जोड़ा है। अब ये महिलाएं अपने उत्पाद न केवल हिलांस आउटलेट्स पर बेच रही हैं, बल्कि डिजिटल मंचों के ज़रिए भी देशभर के ग्राहकों तक पहुँच रही हैं।

यह पूरी पहल अब महज़ एक परियोजना नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक परिवर्तन की मिसाल बन गई है। अब महिलाएं केवल घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं, बल्कि वे सामाजिक फैसलों में भागीदारी निभा रही हैं। उनका आत्मविश्वास, निर्णय लेने की क्षमता और आर्थिक सशक्तिकरण, उत्तराखंड को आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से अग्रसर कर रहा है।