चैत्र नवरात्रि का आज दूसरा दिन है आज के दिन दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा अर्चना की जाती है,माँ काली को भगवान शिव की पहली पत्नी सति का ही अंश माना जाता है,जहाँ जहाँ सति के अंश पड़े वो सभी स्थान सिद्धपीठ कहलाए,देहरादून की डाट काली की महिमा अपरम्पार है और यहाँ पर माँ काली भद्र काली के रूप में विराजमान हैं,भद्र काली को माँ काली का शांत स्वरुप माना जाता है।
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ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
भद्रं मंगलं सुखं वा कलयति स्वीकरोति भक्तेभ्योदातुम् इति भद्रकाली सुखप्रदा
जी हाँ इसीलिए डाट काली की महिमा इतने दूर दूर तक फैली है,डाट काली माता अपने भक्तों को देने के लिए ही भद्र सुख या मंगल स्वीकारता है इसलिए भद्रकाली कहलाती है।
देहरादून सहारनपुर रोड पर माता डाट काली का भव्य मंदिर स्थित है,साल भर यहाँ श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं और इन दिनों चैत्र नवरात्रि का अवसर है तो यहाँ पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है,ये मनोकामना सिद्धपीठ है जो भी भक्त यहाँ पर अपनी मनोकामना लेकर आता है माँ डाट वाली काली अपने भक्त की मनोकामना जरूर पूर्ण करती है,देहरादून एवं आसपास के क्षेत्रों के लोग जब भी कोई शुभ कार्य या नया वाहन खरीदते हैं तो माँ डाट काली के दर्शन जरूर करते हैं,भक्त मानते हैं कि माता की चुनरी वाहन और वाहन चालक दोनों की ही रक्षा करती है।
डाट काली मंदिर का इतिहास:
डाट काली मंदिर का इतिहास काफी पुराना है,इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था,जब मंदिर का निर्माण हो रहा था तो देवी इंजीनियर के सपने में आई थी और जिन्होंने मंदिर की स्थापना के लिए महंत सुखबीर गुसैन को काली की
मूर्ति दी थी यही मूर्ति आज भी मंदिर में विराजमान है।एक बार जब अंग्रेज दून घाटी में प्रवेश करने के लिए मंदिर परिसर के समीप सुरंग का निर्माण कर रहे थे तो उन्हें माँ डाट काली के चमत्कार का अहसास हुआ था,जब मजदूर दिन में सुरंग खोदते तो रात को सुरंग फिर ढह जाती इससे अंग्रेज अफसर भी नतमस्तक हो गए और सुरंग निर्माण स्थल पर मूर्ति स्थापना करके काम पुनः यथावत चलता रहा और माँ डाट काली मंदिर अस्तित्व में आया।
मान्यताएं:
माँ डाट काली उत्तराखंड सहित पश्चिमी उत्तरप्रदेश की भी इष्ट देवी हैं,मंदिर के महंत बताते हैं कि यहाँ पर एक दिव्य जोत है जो 1921 से लगातार जलती आ रही है,मंदिर देहरादून सहारनपुर रोड पर स्थित है जो भी यहाँ से गुजरता है माँ डाट काली का आशीर्वाद जरूर लेता है,मंदिर में तेल,गुड़ ,आटा चढ़ाया जाता है।यहाँ नित दिन भंडारे का आयोजन किया जाता है,मंदिर परिसर के बाहर चढ़ावे के लिए फूल और मालाएं मिलती हैं श्रद्धालु इस यात्रा को यादगार बनाने के लिए सर्व मनोकामना धात्री डाट काली की तस्वीर अपने साथ लेकर जाते हैं।
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