VIDEO : प्रधान-पति के क्या हाल होते हैं ,जब घर में हो प्रधानी ! देखें आप भी

0
1504
PRADHANI BAU

चुनाव चाहे छोटे स्तर पर हो या बड़े स्तर पर चुनावी माहौल का अलग ही असर होता है,चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशी हर संभव प्रयास करते हैं साम दाम दंड भेद चाहे कोई भी हथियार प्रयोग में लाना पड़े चुनाव जीतना सर्वोपरि होता है। ऐसा ही कुछ माहौल होता है ग्राम-स्तर के चुनाव पर जहाँ ग्रामसभा का मुखिया चुना जाता है जिसे प्रधान कहा जाता है।
गजेंद्र राणा की एल्बम प्रधानी बौ भी ग्राम प्रधान के चुनाव पर आधारित है जिसमें प्रधान एक महिला होती है और घरेलू सारा काम काज प्रधान-पति करता है।

जरूर पढ़ें : आप भी देखें भोले बाबा के भजन नाची गैना मेरा भोले बाबा पर झूमता है पूरा उत्तराखण्ड -1 मिलियन लिस्ट में शामिल

एल्बम प्रधानी बौ का गीत- तिलेधारू बोला मेरी प्रधानी बौ जिसे लोकगायक गजेंद्र राणा ने अपनी आवाज दी है और संगीत दिया संजय कुमोला ने,वीडियो को व्यंग्यात्मक ढंग से पेश किया गया है कि कैसे जब एक महिला गाँव की प्रधान बन जाती है और अपने पति से घर के सारे काम-काज करवाती है,और खुद ग्राम पंचायत के काम-काजों के सिलसिले में अधिकांश बैठकों में और तहसीलों के चक्कर ही काटती रहती है। वीडियो का निर्देशन अजय -विजय भारती ने किया है और जबकि ग्राम-प्रधान के चुनाव को कैमरामैन बबलू जंगली ने अपने कैमरे में रिकॉर्ड किया।

जरूर पढ़ें : काफल पाको लोक- कथा का वर्णन गीत में पम्मी नवल ने बहुत ही मार्मिक ढंग से किया है देखिए जरूर!

प्रधानी बौ की भूमिका में नीलम तोमर दिखी जबकि प्रधान पति नवीन सेमवाल बने,अरविन्द नेगी ने पूरी वीडियो में प्रधानी बौ को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
लेकिन प्रधान बनने के बाद स्यांरी देवी ने अपने मुख्य चुनाव प्रचारक और अपने समर्थकों को पूछा तक नहीं और उनकी मांगों को दरकिनार करती रही जिससे उनके समर्थकों में विरोध की भावना जागृत हो गई और उनके खिलाफ खड़े हो उठे.पूरी वीडियो में अरविन्द नेगी प्रधानी बौ को चिढ़ाने के नए नए हथकंडे अपनाते रहे और किसी न किसी तरह तंग करते दिखे कभी उन्हें दिन भर कामों में फंसे रहने का हवाला दिया तो वहीं घर के चूल्हे चौके भाई के सँभालने पर भी व्यंग्य किया। ग्रामीण इलाके के सौंणू भाई कहने को तो प्रधान-पति हैं पर स्यांरी प्रधानी बौ ने उन्हें घर के कामों में ही उलझा रखा है। वीडियो से कहीं न कहीं ग्रामीण इलाकों में होने वालो ग्रामस्तरीय चुनावों पर कटाक्ष किया गया है कैसे हम एक नारी को इतना बड़ा दायित्व भी दे देते हैं और पीठ-पीछे उसी की बुराई करते हैं,घर के काम छोड़ के बैठकों में आना जाना लगे रहना आम बात है अगर जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है तो उसका दायित्व बनता है कि अपने ग्रामसभा के लिए कुछ कर दिखाए और गाँव की स्थिति को बेहतर बनाए।

बामणी 2 गीत की रचना का क्या था उद्देश्य जानना जरुरी है – देखें पलायन पर कटाक्ष – गीत के माध्यम से

लेकिन वीडियो की कहानी बदली और जो प्रधानी बौ की बुराई करता रहता है अंत में वही चुनाव जीत जाता है जरूर देखिए कहानी ने क्या मोड़ लिया और रूबरू होइए जमीनी हकीकत से होने वाले चुनावों से, जहाँ चंद रुपयों के लिए व्यक्ति अपना वोट ऐसे व्यक्ति को दे देता है जो कि उसके योग्य ही नहीं है।लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई होती है ग्रामसभा; अगर ऐसे चुनावों में ही इस तरह के हथकंडे अपनाए जानें लगें तो देश का क्या होगा,बड़े स्तरीय चुनाव कैसे बिना बल के जीते जाएंगे!

जरूर पढ़ें : उत्तराखंड में पलायन की स्थिति को बयां करता गीत “पीड़ा मेरा पहाड़ की” देखिये क्या है इसमें खास

जनता को जागरूक करने का प्रयास निर्माता द्वारा सफल रहा और नारी शक्ति के सम्मान की बात की गई यदि नारी योग्य है तो उसे क्यों नहीं ऐसे दायित्व सौंपे जाएं जरुरी तो नहीं वह बस चूल्हा चौका ही संभाले या घर की खेती बाड़ी ही करे ,वर्तंमान में देश के कई मुख्य पदों पर नारी शक्ति विराजमान हैं जो अपनी क्षमता के दम पर ही वहां तक पहुंचे हैं और देश-हित के लिए बहुत सुन्दर कार्य कर रही हैं।अंत में कहानी जरूर मोड़ लेती है ,अरविन्द नेगी ने राजनितिक ढंग से चुनाव में प्रधानी बौ को हरा दिया और अब उनकी खिल्ली उडा रहा है देखो! मैं भी अब प्रधान बन गया हूँ मैं भी तुम्हारी तरह रौब झाड़ूंगा।

वीडियो देखकर आपको भी ग्राम-प्रधान के चुनाव से अवगत कराते हैं:

HILLYWOOD NEWS
RAKESH DHIRWAN