उत्तराखंड में बहुत जल्द भूकंप बरपा सकता है कहर, आप भी पढ़ें
वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार पता चला कि 4 साल के अंदर अब तक उत्तराखंड में 67 छोटे भूकंप आ चुके है। इन छोटे छोटे भूकंप से आने वाले किसी बड़े खतरे का अंदेशा लगाया जा सकता है
पहले भी प्रदेश में साल 1991 में उत्तरकाशी और साल 1999 में चमोली में बड़े भूकंप आ चुके हैं, जिनमें भारी जान-माल का नुकसान हुआ था। हाल ही में पाकिस्तान में जबर्दस्त भूकंप आने के बाद से उत्तराखंड के लोग भी डरे हुए हैं। ऐसा होना लाजिमी है, क्योंकि पिछले 4 साल में उत्तराखंड 4 से ज्यादा तीव्रता वाले 67 झटके महसूस कर चुका है।
Earthquake Uttarakhand
इन हल्के झटकों से कोई भारी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन बड़े भूकंप का खतरा लगातार बना हुआ है। उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद सेंसेटिव है। जोन 4 और जोन 5 की कैटेगरी में आता है। उत्तराखंड में लंबे वक्त से बड़ा भूकंप नहीं आया है, इसीलिए यहां बड़ा भूकंप आने का खतरा लगातार बना हुआ है।
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गौर करने वाली बात ये है कि पिछले चार साल में भूकंप के जो झटके महसूस किए गए हैं, वो सिर्फ चार जिलों तक ही सीमित रहे। इन जिलों में उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चमोली और रुद्रप्रयाग शामिल हैं।
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार कहते हैं इन चार जिलों में आने वाले भूकंप एक ही फॉल्ट लाइन में पड़ते हैं। वैज्ञानिक हिमालय में होने वाली हलचलों पर नजर बनाए हुए हैं। साल 1950 के बाद से प्रदेश में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। इसीलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि जमीन के भीतर मौजूद ऊर्जा छोटे-छोटे भूकंपों के जरिए बाहर नहीं आ पा रही। ये बड़े खतरे भूकंप का संकेत हो सकता है। भारतीय प्लेट यूरेशियाई प्लेट की ओर 50 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की गति से बढ़ रहा है, जो कि हिमालयी क्षेत्र में भूकंप आने की बड़ी वजह है।
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