Uttarakhandi momo : अब उत्तराखंड में मंडुवे के मोमो उपलब्ध , चाइनीज़ मोमो को कहें गुडबाय

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Uttarakhandi momo : अब उत्तराखंड में मंडुवे के मोमो उपलब्ध , चाइनीज़ मोमो को कहें गुडबाय

Uttarakhandi momo : अब उत्तराखंड में मंडुवे के मोमो उपलब्ध , चाइनीज़ मोमो को कहें गुडबाय

चाइनीज फ़ूड के लोग इतने दिवाने हैं कि लोगों को आज कहीं पर भी चाइनीज़ फ़ूड बनता दिखे तो वो तुरंत उस ओर दौड़े चले जाएँ फिर उन्हें अपनी सेहद की फिक्र तक नहीं होती सायद लोग ये भूल जाते हैं की इन चाइनीज़ फूड़ों का कितना बुरा असर उनके स्वास्थय पर पड़ सकता है लेकिन वहीँ जब बात करें पहाड़ी खाने की तो पहाड़ी व्यंजनों की बात ही अलग है।

Uttarakhandi momo

अगर पहाड़ी फ़ूड की बात की जाए तो यह स्वास्थय के लिए पूर्णतः लाभदायक होता है जिससे हमें शरीर के लिए पोषण तो मिलता ही है साथ ही शरीर में होने वाले कई रोग भी ख़त्म हो जाते हैं। एक ओर जहां चाइनीज मोमो व स्प्रिन रोल फेमस हैं वहीँ अब गढ़वाल में भी पहाड़ी मोमो व स्प्रिंग रोल तैयार किये जाने लगे हैं और लोगों को ये ख़ासे पसंद भी आ रहे हैं।

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आपको बता दें कि कोटद्वार के “केम्स इंस्टिट्यूट” में मंडुवे के आटे से तमाम तरह के फ़ूड आइटम्स तैयार किये जा रहे हैं। जहां पर इंस्टिट्यूट में होटल मैनेजमेंट कोर्स करने वाले युवा मंडुवे से नए नए व्यंजन बना रहे हैं। मंडुवे से बने यह आइटम स्वाद और सेहत दोनों के लिए ही फिट हैं जहां एक ओर देहरादून में मंडुवे के केक बनाये जा रहे हैं वहीँ कोटद्वार में मंडुवे से मोमो व स्प्रिंग रोल बनाये जा रहे हैं जो लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं।

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“केम्स इंस्टिट्यूट” में होटल मैनेजमेंट का कोर्स संचालित करने वाले शख़्स हैं अजेंद्र राणा जिन्हें पहाड़ी खाना बेहद पसंद है और वो पहाड़ी खाने साथ एक्सपेरिमेंट भी करते रहते हैं। उनका मानना है की चाइनीज फ़ूड आइटम के ठेलों ,रेस्टोरेंट में लोगों की भीड़ लगी रहती है पर सच तो ये है की मैदे से बने ये व्यंजन स्वाद के साथ – साथ केवल बीमारी देते हैं और कुछ नहीं।

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केम्स में पड़ने वाले छात्र मंडुवे से नए नए व्यंजन बनाना सीख रहे हैं जो मंडुवे की चाइनीज डिशेज़ के रूप में तैयार हो रही हैं। मंडुवे के इस्तेमाल से कहीं फायदे होंगे। सबसे पहले तो लोग पहाड़ी अनाज से दोबारा जुड़ेंगे जिससे पहाड़ी उत्पादों की ख़पत भी बढ़ेगी। यदि मंडुवे से लज़ीज़ व्यंजन बनेंगे तो लोग इन्हें बनाना सीखेंगे,इन्हें बेचेंगे जिससे रोजगार मिलेगा तथा पलायन भी रुकेगा। यदि इस तरफ ध्यान दिया जाये तो मंडुवा और दूसरे पहाड़ी अनाजों को रोजगार का बेहतर जरिया बनाया जा सकता है साथ ही स्वास्थय के लिए भी यह बेहद अच्छा रहेगा।

अशोक नेगी की रिपोर्ट