उत्तराखंड के युवाओं में काम और मेहनत की भावना काफी मजबूत है। राज्य के युवा अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम और समर्पण के साथ काम करते हैं। वहीं एक प्रेरित करने वाली कहानी है उत्तराखंड के चमोली जिले के दीयारकोट के रहने वाले पवन रावत की। जो भरी हुई है एक प्रेरणा से। पवन ने अपने संघर्ष के दिनों में अखबार बांटने से लेकर टैक्सी चलाने तक का सफर तय किया है और आज लाखों का मालिक है।
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बता दें, मूल रूप से उत्तराखंड के चमोली जिले के दीयारकोट के रहने वाले पवन बेहद निर्धन परिवार से आते थे।
पवन ने बताया कि, 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 2015 में अपने गांव से श्रीनगर आए जहां उन्होंने आईटीआई की पढ़ाई की। लेकिन उनके पास रहने और खाने का कोई ठिकाना नहीं था। उन्होंने एक होटल में काम किया और फिर अखबार बांटने का काम शुरू किया।
पवन ने बताया कि अखबार बांटने से उन्हें थोड़ा बहुत पैसा मिलता था, जिससे वह कमरे का किराया और खाने-पीने का खर्चा चला लेते थे। उन्हें थोड़ी बहुत गाड़ी चलानी आती थी, लेकिन उनके पास अपनी गाड़ी नहीं थी। पवन का कहना है कि, कभी-कभी वह गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को उनकी गाड़ी से देहरादून छोड़ने जाते थे और फिर वापस आने के लिए खुद सवारी गाड़ी से आते थे। प्रोफेसर जो पैसे देते थे, उनसे कुछ पैसों से खर्चा चलाते और कुछ जमा करते। पवन ने बताया कि उन्होंने धीरे-धीरे पैसे जमा किए और एक गाड़ी खरीदी। उन्होंने उस गाड़ी को बुकिंग पर चलाना शुरू किया और मुनाफा कमाना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने अपने दो भाइयों को भी श्रीनगर बुला लिया और तीनों भाई मिलकर टैक्सी चलाने लगे।
आज पवन के पास 6 टैक्सी हैं और वह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसके साथ ही वह तीन अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। पवन की सफलता की कहानी यहीं नहीं रुकती, उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को भी सुधारने के लिए काम किया है। उन्होंने अपने गांव में एक नया घर बनवाया है और अपने परिवार के सदस्यों को भी रोजगार दिलाने के लिए काम किया है। पवन की कहानी यह साबित करती है कि अगर कोई व्यक्ति मेहनत और संघर्ष के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है, तो वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है।