उत्तराखंड में सफर करना होगा महंगा, इस फैसले का पड़ेगा असर

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उत्तराखंड में सफर करना अब महंगा हो सकता है। टैक्सियों, बसों, विक्रम, ऑटो सहित कमर्शियल गाड़ियों के किराये को लेकक उत्तराखंड सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। उत्तराखंड में गाड़ियों के वाहनों के रजिस्ट्रेशन टैक्स, रोड टैक्स और विभिन्न परिवहन सेवाओं की फीस हर साल संशोधित होगी।सार्वजनिक यात्री और मालभाड़ा वाहनों के किराये के साथ परिवहन विभाग बाकी सभी सेवाओं के शुल्क तय करने का फार्मूला बना रहा है। राज्य में परिवहन सेवाओं के शुल्क की बढ़ोतरी वर्ष 2016 में हुई थी। टैक्स स्लैब तय करने की जिम्मेदारी राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) के अधीन गठित समिति को दे दी गई है।

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परिवहन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकि के अनुसार हर साल शुल्क संशोधित करने का फार्मूला विभाग के भी हित में है और वाहन मालिकों के भी कुछ साल के अंतर में एकमुश्त शुल्क बढ़ाना आम आदमी के लिए भी काफी असहज होता है। मालूम हो कि राज्य में वाहनों के रजिस्ट्रेशन टैक्स दो जनवरी 2019 को संशोधित किया गया था। जबकि विभिन्न लाइसेंस, दस्तावेज, फिटनेंस रिन्यूवल आदि की फीस 29 दिसंबर 2016 के अनुसार लागू हैं। तब से इनमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया है जबकि किराया दरों को तीन बार बढ़ाया जा चुका हैये आएंगे दायरे में वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर वन टाइम दिया जाना टैक्स । वर्तमान में यह वाहन की कीमत के अनुसार सात प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक लागू है। – लर्निंग लाइसेंस, लाइसेंस, वाहन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, रिन्यूवल, फिटनेस, दस्तावेज की फोटो कापी, ड्राइविंग सिखाने वाले संस्थान की फीस, प्रदूषण जांच फीस, वाहन की एनओसी आदि।

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यात्री व मालभाड़ा किराया, विभिन्न परिवहन सेवाओं की फीस के लिए एक फार्मूला तय किया जा रहा है। इसके जरिए हर साल इनमें संशोधन किया जाएगा। साल दर साल संशोधन होना कई कई साल बाद एकमुश्त बढ़ाने के मुकाबले ज्यादा बेहतर और सुविधाजनक है। कमेटी से रिपोर्ट ली जा रही है। एसटीए की बैठक में इस पर अंतिम निर्णय किया जाएगा। अरविंद सिंह ह्यांकी, परिवहन सचिव

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