पिथौरागढ़ जिसकी तुलना कश्मीर घाटी से की जाती है, पिथौरागढ़ का उपनाम “छोटा कश्मीर” है और यह असाधारण और भव्य प्राकृतिक आकर्षण का दावा करता है, वैसे तो पिथौरागढ़ अपने आप में किसी जन्नत से कम नहीं है और उसी जन्नत में एक खूबसूरत मंदिर स्थित है कामाख्या देवी मंदिर जिसकी सैर आज हम इस लेख में आपको करवाने वाले हैं.
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कामाख्या देवी मंदिर पिथौरगढ़ से लगभग 7 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है, जहां से नीचे शहर का दृश्य दिखाई देता है और यह सुंदर चोटियों से घिरा हुआ है, शक्ति पीठ माँ कामाख्या देवी मंदिर में कोई भी दृश्यमान मूर्ति नहीं है, और यहाँ पाई गई कोई भी मूर्ति केवल पत्थर के घन-आकार के टुकड़े हैं, यह मंदिर अपने आप में अविश्वसनीय रूप से रहस्यमय है, तांत्रिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण देवी कामाख्या देवी हैं, इसी कारण से तांत्रिक अपनी सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए यहाँ आते हैं, वहीं बता दें यह मंदिर उन हिंदू भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो वैवाहिकआनंद और सभी प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से मुक्ति की तलाश कर रहे हैं.
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मंदिर की स्थापना 22 मार्च 1972 में की गई थी, इस मंदिर के निर्माण के पीछे भी अद्भुत कहानी है, बताया जाता है कि एक सैनिक के सपने में आकर मां कामाख्या ने मंदिर स्थापित करने के लिए कहा था, कुसौली गांव के मदन मोहन शर्मा सेना में तैनात थे. नौकरी के दौरान जब उनकी पोस्टिंग असम में हुई तो वह मां कामाख्या की पूजा-अर्चना करते थे, ऐसा कहा जाता है कि कुछ समय बाद उन्हें सपने में मां कामाख्या ने दर्शन देकर कहा, ‘मैं तुम्हारे साथ चलती हूं, इस स्वप्न के बाद मदन मोहन शर्मा ने अपने गांव पिथौरागढ़ आकर गांव की चोटी में मां कामाख्या मंदिर की स्थापना की, इसके बाद स्वंय मंदिर की सेवा में जुट गए. मंदिर की स्थापना के 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं.’ यहां देश के अलग-अलग हिस्से से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
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इस मंदिर की विशेषता है कि यह उत्तराखंड में कामाख्या देवी का एकमात्र मंदिर है, मंदिर में नवरात्रि पर 10 दिनों तक अखंड ज्योति जलाने के साथ-साथ विशेष पूजा की जाती है, साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, यह मंदिर धार्मिक स्थल के साथ-साथ अब पर्यटक स्थल के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है, इस स्थान से पिथौरागढ़ का जो दृश्य दिखता है, वह बहुत ही अद्भुत है, अपने नैसर्गिक सौंदर्य से आज यह मंदिर बाहर से आने वाले पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी खूब लुभा रहा है, माता कामाख्या का दरबार सिर्फ धार्मिक महत्ता में ही नहीं बल्कि पर्यटक के क्षेत्र में भी प्रमुख स्थान रखता है.
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