ओंकारेश्वर मंदिर: उत्तराखंड के पवित्र मंदिरों में से एक ओंकारेश्वर मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर शीतकाल में भगवान श्री केदारजी और श्री मद्महेश्वर जी की शीतकालीन पूजा अर्चना का पवित्र गद्दी स्थल भी है।ओंकारेश्वर मंदिर की विशेषता है इसकी अतिप्राचीन वास्तुकला, जो धारत्तुर परकोटा शैली में निर्मित है। माना जाता है कि यह मंदिर द्वापर युग में निर्मित हुआ था, जो इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को दर्शाता है। ओंकारेश्वर मंदिर अध्यात्म, गृहस्थ और भक्तिभाव की अनुभूति प्रदान करने वाला एक पवित्र स्थल है, जहां श्रद्धालु अपनी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने आते हैं।
धारत्तुर परकोटा शैली
उत्तराखंड के प्राचीन मंदिरों में से एक ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तुकला धारत्तुर परकोटा शैली में निर्मित है, जो प्राचीन भारतीय वास्तुकला की एक अद्वितीय शैली है। इस शैली के तहत, पाषाणों यानी पठार को भीतर से घुमाकर स्टोन वेल्डिंग करके लगाया जाता था। प्रत्येक शिला के गुरुत्व केंद्र में स्थित एक शिला को सीधा रखा जाता था, जिससे संपूर्ण मंदिर का गुरुत्व केंद्र एक ही स्थान पर रहता है। इस शैली की एक अनोखी विशेषता यह है कि भीतर से घुमाकर लगाए गए पट्टीनुमा पाषाण मंदिर को लचीला बनाते हैं, जिससे यह मंदिर प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक मजबूत होता है। धारत्तुर परकोटा शैली का उपयोग प्राचीन काल में उत्तराखंड के कई मंदिरों के निर्माण में किया गया था, जो आज भी अपनी अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।
क्षेत्रफल और विशालता
उत्तराखंड के मंदिरों में क्षेत्रफल और विशालता के लिहाज से ओंकारेश्वर मंदिर समूह सर्वाधिक विशाल है। पुरातात्विक सर्वेक्षणों के अनुसार, प्राचीनकाल में ओंकारेश्वर मंदिर के अलावा सिर्फ काशी विश्वनाथ (वाराणसी) और सोमनाथ मंदिर में ही धारत्तुर परकोटा शैली उपस्थित थी। यह मंदिर समूह अपनी विशालता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि, बाद में उत्तराखंड में अधिकांश मंदिर कत्यूरी शैली और नागर शैली में निर्मित हुए। ओंकारेश्वर मंदिर समूह की विशालता और धारत्तुर परकोटा शैली की उपस्थिति इसे उत्तराखंड के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक बनाती है।
ओंकारेश्वर मंदिर समूह
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर समूह एक पावन और ऐतिहासिक तीर्थस्थल है, जो जिला मुख्यालय से 41 किमी दूर और समुद्रतल से 1311 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसे पंचगद्दी स्थल कहा जाता है क्योंकि यहां पंचकेदार की दिव्य मूर्तियां एवं शिवलिंग स्थापित हैं। ओंकारेश्वर मंदिर समूह में वाराही देवी मंदिर, पंचकेदार लिंग दर्शन मंदिर, पंचकेदार गद्दी स्थल, भैरवनाथ मंदिर, चंडिका मंदिर, हिमवंत केदार वैराग्य पीठ, अनिरुद्ध ओर ऊषा के विवाह की साक्षी विवाह वेदिका समेत संपूर्ण कोठा भवन शामिल हैं। यह मंदिर समूह अपनी विशालता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। ओंकारेश्वर मंदिर समूह उत्तराखंड के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है और यहां की पवित्रता और सुंदरता श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
चारधाम की समानता वाला पवित्र स्थल
स्कंद पुराण में वर्णित ओंकारेश्वर मंदिर की महत्ता चारधाम के समान है। यह पवित्र स्थल उन तीर्थयात्रियों के लिए एक वरदान है, जो किसी कारणवश चारधाम के समय केदारनाथ नहीं आ पाते हैं। शीतकालीन में इस गद्दी स्थल पर दर्शन करने मात्र से उन्हें समान प्रतिफल की प्राप्ति होती है। सर्दियों के मौसम में ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा करने से न केवल आपको पवित्र दर्शन का अवसर मिलता है, बल्कि आप प्रकृति की सुंदरता को भी नजदीक से परिचित हो सकते हैं। इसके अलावा, यहां स्थित नजदीकी खूबसूरत पर्यटन स्थलों का दीदार भी कर सकते हैं। ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा करने के लिए सर्दियों का मौसम सबसे उपयुक्त है, जब प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में होती है। तो आइए, इस सर्दियों में ओंकारेश्वर मंदिर की यात्रा करें और पवित्र दर्शन के साथ-साथ प्रकृति की सुंदरता का भी आनंद लें।