उत्तराखंड की स्वर कोकिला मीना राणा एवं सूर्यपाल श्रीवाण का नया गीत दयोर॑गा भोटयाणी रिलीज़ हुआ है, गीत के माध्यम से एक प्रेम कथा का वर्णन किया है,जो दयोर॑गा एवं जयमल भंडारी के बीच के संवाद दर्शाता है।
सूर्यपाल श्रीवाण के अधिकांश गीतों में उत्तराखंड की संस्कृति एवं परम्पराओं का बखान होता है व सूर्यपाल अपने प्रेम प्रसंगों के गीतों के लिए दर्शकों के बीच खासे लोकप्रिय हैं,दयोर॑गा भोटयाणी भी एक गीत भी एक प्रेम कहानी पर आधारित है जिसमें जयमल भंडारी और दयोर॑गा भोटयाणी के संवादों को गीत का रूप दिया गया है।
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उत्तराखंड अपनी लोकसंस्कृति एवं संस्कृति के लिए जाना जाता है,यहाँ की परंपरा काफी रोचक रही है जो धीरे धीरे विलुप्ति की कगार पर हैं,दयोर॑गा एवं जयमल भंडारी की अमर प्रेम कहानी का बखान उत्तराखंड के जागरी एवं बादी समुदाय के लोगों ने गाँव गांव जाकर सुनाया है,इसी कारण ये प्रेम कहानी आज भी जीवित हैं और सूर्यपाल श्रीवाण ने इसे फिर से उजागर किया है।
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हालांकि दयोर॑गा भोटयाणी व जयमल भंडारी की प्रेम कहानी को उतनी प्रसिद्धि नहीं मिली जितनी राजुला मालूशाही की प्रेम कहानी को मिली हो या नरु बिजोला दो भाइयों के प्रेम-प्रसंग की कहानी हो जिन्हें एक ही युवती से प्रेम हो बैठा ,या जीतू- भरणा की प्रेम कहानी हो लेकिन इस गीत को गाकर सूर्यपाल सही मायनों में लोकगायक का महत्त्व बतलाते हैं कि किसे लोकगायक कहते हैं।
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लोककथाओं एवं लोकजीवन की आवाज बनकर ही एक आमगायक लोकगायक कहलाता है,अब दौर तो बदल गया है जागरी एवं बादी समाज तो अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका है लेकिन गीतों के माध्यम से ही उत्तराखंड के इतिहास को जीवित रखा जा सकता है।कभी न कभी जागरियों ने इस लोकगाथा को अपने जागरों के माध्यम से गाया होगा जिससे ये जन जन तक पहुंची।
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प्रेम भले ही ढाई अक्षर का छोटा सा शब्द है लेकिन जिसने इसे जिया है इसे सच्चे मन से निभाया है वो प्रेम अमर बना है और प्रेमियों को प्रेम की परिभाषा बतलाई है,प्रेम की बात हो ही गई है तो स्वयं भगवान् श्री-कृष्ण इसका महत्तम बताकर गए हैं,और राधा-कृष्ण का प्रेम सदैव अग्रणी माना जाता है। जो दो होकर भी सदा के लिए एक हो गए।
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सूर्यपाल श्रीवाण प्रेम प्रसंग के गीतों के लिए खास पहचान रखते हैं एवं सहज भाषा में रचे गीतों से जनता के बीच लोकप्रिय हैं,इन्होने पुरबा,रुकी जा रे गैल्या,रातुड़ी खुलेली ,उजला जैसे कई प्रेम गीतों को अपनी आवाज दी है।
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