अगर आप दर्शक हैं तो आपको अपनी पसंद अनुसार वीडियो यूट्यूब पर मिल जाता है,आपका एक एक व्यू किसी भी वीडियो के लिए बहुत कीमती होता है,लेकिन आपका इससे क्या नाता है आपको तो अपना मनोरंजन चाहिए,लेकिन वहीँ निर्माता क्या सिर्फ व्यूज के चक्कर में ही वीडियो डालते हैं इसका जवाब इसी लेख में आपको मिल जाएगा।
यूट्यूब पर हर दिन लाखों वीडियो रिलीज़ होते हैं लेकिन हम तक सब तो नहीं पहुँच पाते वहीँ पहुँच पाते हैं जो हमारे काम के हैं या जिन चैनल्स को हमने सब्सक्राइब किया होता है,लेकिन बात हो रही है उत्तराखंड फिल्म जगत की,क्या सिर्फ व्यूज की भागदौड़ में ही अब यहाँ के वीडियो का स्तर गिरता जा रहा है।
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ये सिर्फ हमारा मत नहीं है ये आप सब दर्शकों की राय है जो कहीं न कहीं हकीकत है, जब से डिजिटल हुए हैं तबसे उत्तराखंडी फिल्म्स एवं संगीत जगत की वीडियो के स्तर में काफी गिरावट आई है,जबकि आधुनिक होते इस दौर से तो सीडी डीवीडी वाला जमाना ही ज्यादा सही था।
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अब बहुत कम वीडियो में पूरी टीम देखने को मिलती है,और कहते हैं हम संस्कृति के संवाहक हैं,जब संस्कृति की झलक अपनी वीडियो के माध्यम से दुनिया को दिखाओगे ही नहीं तो कहाँ से बच रही है संस्कृति ?
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इस लाइक्स शेयर और व्यूज के चक्कर में कहीं न कहीं वीडियो को जल्दी से जल्दी बनाकर रिलीज़ करना इसकी गुणवत्ता में गिरावट लाता है,वहीँ कुछ लोग ऐसे हैं जो आज भी इस स्तर को बरक़रार रखे हुए हैं ,
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अब लोकसंगीत के इस रूप को ही देख लीजिए कौन इन दिनों न्योली सुनेगा लेकिन जब बनेगा तो सब सुनेंगे इसका सही उदाहरण इस वीडियो के माध्यम से दिया जा सकता है।’सुरती ले न्योली’ गीत संकलन-स्व० केशव राम द्वारा किया गया था जिसे गायक-कैलाश कुमार ने आवाज दी है,वीडियो में अभिनय-मंगल सिंह चौहान व् जीवन दानू ने किया है, संगीत से रणजीत सिंह ने सजाया है,निर्देशक/कैमरा/एडीटर-प्रकाश बेलाल हैं।
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