हरेला के पावन पर्व पर ” जी रया राजी रयां” गीत हुआ रिलीज

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हरेला के पावन पर्व पर '' जी रया जागी रयां'' गीत हुआ रिलीज

 

उत्तराखंड के पहाड़ की संस्कृति और इसके त्योहारों का प्रकृति के साथ खास रिश्ता है. त्योहारों के इन्हीं रिश्ते की डोर से पहाड़ का जनमानस जुड़ा हुआ है. इनमें से ही एक त्योहार है हरेला पर्व दरअसल हरियाली का प्रतीक हरेला लोकपर्व न सिर्फ एक पर्व है बल्कि एक ऐसा अभियान है, जिससे जुड़कर तमाम प्रदेशवासी बरसों से संस्कृति और पर्यावरण दोनों को संरक्षित करते आ रहे हैंl

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आपको बता दें कि श्रावन मास के शुरुआत में मनाया जाने वाला हरेला(harela) पर्व पर ललित गितयार की मधुर आवाज में जी रया राजी रयां गीत बीते श्याम को रिलीज किया गया है l जिसे दर्शकों के द्वारा खूब प्यार दिया जा रहा है l इस सॉन्ग के रिलीज होने के बाद से उत्तराखंड की सस्कृति पर बने इस लाजवाब गीत की लोग तारीफे कर रहें l वही बात करें गीत में  लिरिक्स की जो सोनी आर्य द्वारा दिया गया हैl

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उत्तराखंड में श्रावण मास में पढने वाले हरेले को अधिक महत्व दिया जाता हैं  क्योंकि श्रावण मास शंकर भगवान जी को विशेष प्रिय है। सावन लगने से नौ दिन पहले पांच या सात प्रकार के अनाज के बीज एक रिंगाल को छोटी टोकरी में मिटटी डाल के बोई जाती हैं| इसे सूर्य की सीधी रोशनी से बचाया जाता है और प्रतिदिन सुबह पानी से सींचा जाता है। 9 वें दिन इनकी पाती की टहनी से गुड़ाई की जाती है और दसवें यानि कि हरेला के दिन इसे काटा जाता है। और विधि अनुसार घर के बुजुर्ग सुबह पूजा-पाठ करके हरेले को देवताओं को चढ़ाते हैं| उसके बाद घर के सभी सदस्यों को हरेला लगाया जाता हैंl

यहां सुने पूरा गीत

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