उत्तराखंड सांस्कृतिक धरोहरों का प्रदेश है,यहाँ के गाँव गाँव में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है ,जो उत्तराखंड को देवभूमि बनाते हैं,कहीं देवी जागर होते हैं तो कहीं थड्या चौफला की रंगत रहती है,इन्ही में से एक एक लीला है पांडव लीला जो पाँच भाई पांडवों के जीवन क्रम पर आधारित होती है।
आप में से कई लोग इस शैली से विदित होंगे लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें इसके बारे में ज्ञान तक नहीं,महाभारत जैसा महायुद्ध उस युग में हुआ जब साक्षात् श्री कृष्ण इस धरती पर उपस्थित थे ऐसा नहीं है श्री हरि ने युद्ध रोकने का प्रयास न किया हो लेकिन कहते हैं न विनाश काले विपरीत बुद्धि ,दुराचारी दुर्योधन श्री कृष्ण को ही बंधी बनाने चला था,अंततः युद्ध हुआ और कौरव वंश का विनाश हो गया लेकिन पाण्डु पुत्र कुल हत्या के पाप से ग्रस्त हो गए,जिसके बाद श्री हरि ने पांडवों को मोक्ष दायक कैलाशपति शंकर महादेव के दर्शन करने को कहा,वही कुल हत्या के पाप से पांडवों को मुक्त कर सकते हैं,कुरुक्षेत्र का रण जीतने के बाद पाण्डव पापों की मुक्ति के लिए भोलेनाथ की खोज में निकल गए।
भगवान् शंकर पांडवों को आसानी से दर्शन नहीं देने वाले थे इसलिए पांडव देवभूमि में ही विचरण करते रहे,जहाँ जहाँ पांडवों ने अपने गढ़ स्थापित किए उन गाँवों में आज भी पांडव लीला का आयोजन होता है,इसमें ढोल दमाऊं की थाप पर पांडव पश्वा अपने क्रियाकलापों का वर्णन करते हुए अपने अस्त्र शस्त्रो के साथ नृत्य नाटिका करते हैं।
उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाता हुआ एक वीडियो गीत या यूँ कहें पूरी पांडव लीला का मंचन इस वीडियो में दर्शाया गया है,जो किसी कारणवश ऐसी रीति रिवाजों से वंचित रह जाते हैं उनके लिए अपनी संस्कृति से जुड़ने के लिए बेहद ही सुगम माध्यम है,पांडव लीला का वर्णन जयबीर रावत ने अपने गायन के माध्यम से किया है।ये एक पारम्परिक जागर शैली का गीत है जिसे जयबीर रावत ने बहुत ही शानदार अंदाज में गाया है। विक्की जुयाल ने इसे संगीत से सजाया है ,इसके डीओपी भरत सिंह पिंडर रहे कैमरा वर्क गौरव नेगी एवं मनोज राणा ने किया है,इसका निर्देशन प्रेम चंद्र ने किया है।
पांडव लीला के किरदार में सभी किरदार बेहद ही शानदार नजर आए। इसका फिल्मांकन क्वांर गाँव में हुआ है।
आप भी अपनी संस्कृति को जीवंत रूप देने के लिए इस वीडियो को जरूर देखें:
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