पितृदोष का निवारण दिखाती फिल्म पितृकुड़ा, दर्शक हुए भावुक

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गढ़वाली फीचर फिल्म “पितृकुड़ा” लोकप्रियता के नए आयाम बना रही है। फिल्म को लेकर लोगों में जबर्दस्त उत्साह बना हुआ है। बता दें, फिल्म की बहुत मार्मिक कहानी और कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय देख दर्शकों के आँखे भर आयी । फिल्म का कसा हुआ निर्देशन, दमदार कहानी, कलाकारों का शानदार अभिनय और असरदार गीत संगीत दर्शको को बांधे रखने में पूरी तरह सफल है ।
दरअसल, फिल्म पितृकुड़ा उत्तराखड की पहली फिल्म है जो लिंगवास परम्पराओं पर आधारित है। आपने अक्सर सुना होगा की पितृदोष लेकिन यह पितृदोष क्यों उत्पन्न होता है। और इसके अनेकाएक परिणाम आपको और आपके परिवार को क्यों भुगतने पड़ते हैं। कई लोगों को लगता है कि पितृ दोष जन्म से होता है स्वभाविक है यह सब होना और उस से कुछ नहीं बिगड़ता। लेकिन असल में क्या है पितृ दोष और क्या से  बना देता है। बता दें, यह फिल्म वास्तविकताओं पर आधारित है। जिसे देख लोग शहरों से गाँवों की और दौड़ लगा रहे हैं अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए।
क्‍या है पितृ दोष

अगर किसी व्‍यक्ति की मृत्‍यु के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्‍कार न किया गया हो, या फिर अपने परिवार के बुजुर्गों की सेवा न की गई हो और आखिर समय तक उनके दिलों को दुखाया होगा जिस वजह उनकी आत्‍मा तृप्‍त होने के बजाय भटकती है और उस व्‍यक्ति के साथ उससे जुड़े परिवार के लोगों को पितृ दोष का दंश झेलना पड़ता है।

इस वजह से होता है पितृदोष

  • पितरों का विधिवत अंतिम संस्कार और श्राद्ध न होना।
  • पितरों की विस्‍मृति या अपमान करना।
  • धर्म के विरुद्ध आचरण करना।

बता दें, निर्देशक प्रदीप भंडारी की फीचर फिल्म पितृकुड़ा में भी कुछ इस प्रकार की मार्मिक कहानी दिखाई गई है, जिसे देख दर्शक भावुक हो गए। फिल्म में दिखाया गया है, कि किस प्रकार माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी जिंदगी देखने के लिए कठिन से कठिन परिश्रम करते हैं और उनको जीवन को किस प्रकार से खुशियों से भर देते हैं। लेकिन वहीं संतान किस प्रकार अपने बुजुर्ग माता-पिता का सहारा बनने के बजाय उनको असहाय छोड़ देते हैं। आपको अपने बच्चों से प्रेम हो जाता है अपनी पत्नी से भी प्रेम होता है लेकिन उनसे नहीं होता जिन्होंने आपको अच्छी जिंदगी देने के लिए अपनी सारी खुशियां त्याग दी।

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सुपर डुपर हिट साबित हो रही फिल्म के मुख्य कलाकारों में हैं राजेश जोशी, पदम गुसांई, प्रदीप भण्डारी, शुभ चन्द्रा, शिवानी भण्डारी, सुषमा व्यास, कोमल नेगी राणा, आयुषी जुयाल, बीनीता नेगी, अनामिका राज, गोकुल पंवार, गम्भीर जयाड़ा, बृजेश भट्ट, रवि नेगी, दीपक रावत, शिव कुमार आदि हैं। वहीं फिल्म के गीतों को तीन प्रमुख संगीतकारों ने संगीत दिया है जिनमें – संजय कुमोला, अमित वी. कपूर, सुमित गुसांई। जबकि गीतों को स्वरों से सजाया है जितेन्द्र पंवार, पदम गुसांई, संजय कुमोला, प्रीती काला, प्रेरणा नेगी, रवि गुसांई और राजलक्ष्मी ने ।

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