कहते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड आने वाले शख्स ने अगर यहां के फलों का स्वाद नहीं लिया, तो उसकी यात्रा अधूरी है l ऐसे ही फलों में एक बेहद लोकप्रिय नाम है काफल- एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह हमारे शरीर के लिए फायदेमंद है काफल एक जंगली फल है इसे कहीं उगाया नहीं जाता, बल्कि अपने आप उगता है और हमें मीठ फल का तोहफा देता है गर्मी के मौसम में किसी बस स्टैंड से लेकर प्रमुख बाजारों तक में ग्रामीण काफल बेचते हुए दिखाई देते हैं l
हिन्दी नाम – काफल (Kafal)
अंग्रेजी नाम – Bayberry
वैज्ञानिक नाम- Myrica esculenta
कहाँ पाया जाता है – उत्तरी भारत, दक्षिणी भूटान और नेपाल की पहाड़ियों में
यह भी पढ़े : जानिए भगवान शिव और पार्वती के विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर से जुड़ी खास मान्यतायें
काफल, हिमालय की तलहटी में स्थित उत्तरी भारत के उत्तराखण्ड, दक्षिणी भूटान और नेपाल की पहाड़ियों में पाया जाता है। काफल – हिमालय का सबसे स्वादिष्ट फल है। यह एक वृक्ष या विशाल झाड़ी में उगने वाला हिमालयी फल है। स्वाद में मीठा व चटक लाल रंग इसे सभी का पसंदीदा फल बनाता है। गर्मी का मौसम आते ही मध्य हिमालय में यह फल उगना प्रारंभ हो जाता है। पहाड़ी कस्बों, छोटी दुकानों, बस स्टैंड आदि जगहों पर काफल बेचने वाले आसानी से दिखाई दे जाते हैं। यात्रा क दौरान कुछ यात्री काफल तोड़ते हुए भी नजर आ ही जाते हैं। काफल उत्तराखण्ड की संस्कृति का भी एक जरूरी हिस्सा है। इस फल से पहाड़ के भोले-भाले लोगों का आत्मिक संबंध है और यही कारण है कि इस फल के ऊपर हमारे पहाड़ों में मन को मंत्रमुग्ध कर देने वाले मधुर गीत भी बने हैं।
यह भी पढ़े : उत्तराखंड की स्नेह महिला दिवस पर गुजरात को जीत दिलवा रही थी।
काफल के फायदे | Benefits of kafal
हमारे शरीर से जुड़ी बहुत से बिमारियों में पहाड़ी फल काफल के फायदे (Benefits of kafal) देखने को मिलते हैं, जिनमें से कुछ का जिक्र नीचे किया गया है।
सिरदर्द में फायदेमंद है काफल : आजकल के व्यस्त लाइफ स्टाइल में सिरदर्द एक ऐसी बिमारी है जिससे हर कोई जूझता है। इसके इलाज के लिए हम तरह-तरह की केमिकल गोलियों को खाते रहते हैं जो असरदार तो होती है। मगर शरीर उसका आदि बनता जाता है। मगर आर्युविज्ञान ने काफल के ऐसे गुणकारी इलाजों को खोजा है जिससे आप घरेलु उपायों से ही सिरदर्द से निजात पा सकते हैं। काफल के छाल का चूर्ण बनाकर नाक से सांस लेने पर कफ से जन्मे सिरदर्द से निजात मिलता है। वहीं इसके अलावा काफल के तेल को मरिच चूर्ण मिलाकर सूंघने से भी सिरदर्द कम हो जाएगा।
आँखों के इलाज में फायदेमंद है काफल:- काफल आँख के इलाज में भी लाभकारी है। आए दिन प्रदूषण से हम आँख की विभिन्न समस्याओं से ग्रसित होते रहते हैं। जैसे आँख का लाल होना, रतौंधी, आँख में दर्द आदि। काफल से बजा काजल इन विकारों को दूर करने में उपयोगी है।
यह भी पढ़े : गौरव के पल: लोकगायक वीरेंद्र राजपूत को सम्मानित करेगी संगीत नाटक अकादमी।
नाक की समस्याओं में फायदेमंद है काफल :- नाक संबंधी समस्याओं से निजात के लिए भी काफल का प्रयोग किया जाता है।
कान के दर्द में फायदेमंद है काफल: काफल खांसी-जुखाम के साइड इफैक्ट से जन्मे कान के दर्द में भी लाभकारी है।
दांत दर्द में काफल के फायदे :- यदि आप दांत दर्द से परेशान हैं तो काफल के तने के छाल को दाँतों में दबाने से दांत दर्द में निजात मिलता है।
सांस संबंधि समस्याओं में काफल गुणकारी – यदि आप को सांस लेने में तकलीफ है और कफ के कारण ऐसा होता है तो आप काफल के चूर्ण में, शहद व अदरक का मिलाकर सेवन करने से कफ जनित श्वास की समस्या से लाभ मिलता है।
खांसी में फायदेमंद है काफल:- काफल के छाल के काढ़े को पीने से खांसी में लाभ प्राप्त होता है।
यह भी पढ़े : नैनीताल में शूटिंग के दौरान घायल हुई ऊ अंटावा गर्ल, रोकनी पडी शूटिंग
दस्त से राहत देता है काफल – यदि आप चटोरे हैं और मसालेदार खाने, पैकेज्ड फूड व बाहर के खाने से दस्त आपकी रुक नहीं रही है तो आप काफल के चूर्ण को शहद के मिलाकर खाने से से दस्त में लाभ मिलेगा।
मस्से करेगा दूर :- काफल का पेस्ट मस्सों पर लगाने से तुरन्त आराम मिलता है।
पेटदर्द में लाभ :- काफल चूर्ण को एक चुटकी नमक के साथ सेवन करने से गैस से उपजे पेट में दर्द से लाभ मिलता है।
लकवा में भी लाभ :- काफल के तेल को शरीर पर मलने से पक्षाघात (लकवा) में भी लाभ मिलता है।
बुखार में लाभ :- कफ से जन्मे बुखार में राहत के लिए काफल चूर्ण में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर मधु के साथ चाटने से बुखार में राहत मिलता है।
अत्यधिक पसीने को करे दूर :- काफल के चूर्ण को सोंठ में मिलाकर, पीसकर शरीर में मलने से ज्यादा पसीना निकलना बंद हो जाता है।
सूजन कम करे :- काफल चूर्ण कि पानी में पीसकर सूजन पर लगाने से सूजन में राहत मिलती है।
पहाड़ों में काफल पकने की सूचना मिलते ही मैदानी इलाकों में इसकी मांग काफी बढ़ जाती है जिस कारण काफल की कीमत अच्छी खासी हो जाती है। मैदानी इलाकों एवं पहाड़ी कस्बों व छोटी दुकानों में काफल 400 से 500 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। यह कीमत इसकी कम उपलब्धता, स्वाद व औषधीय गुणों के कारण होती है। काफल गर्मी प्रारंभ होने के शुरुआत में पकना प्रारंभ हो जाते हैं। हर वर्ष यह फल अप्रैल, मई व जून तक पकते हैं। हमेशा की तरह आपको यह ब्लॉक कैसा लगा कमेंट करके अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें एवं हमारा हौसला बढ़ाएं। साथ ही हमारे सोशल मीडिया साइट्स से भी जुड़कर आप अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
नोट – काफल से जुड़े इन सभी प्रयोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सक की परामर्श के बाद ही करें l
उत्तराखंड फिल्म एवं संगीत जगत की सभी ख़बरों को विस्तार से देखने के लिए हिलीवुड न्यूज़ को यूट्यूब पर सब्सक्राइब करें।