सशक्त भू-कानून को मंजूरी, राज्य की भूमि और संस्कृति को मिलेगा बल

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देहरादून। उत्तराखंड में लंबे समय से मांग उठ रही थी कि प्रदेश में सख्त भू-कानून लागू किया जाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में भू-कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी गई। इसे राज्य की संस्कृति, भूमि और मूल पहचान की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है।
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जनता की भावनाओं का सम्मान – मुख्यमंत्री धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निर्णय को जनभावनाओं के अनुरूप बताया और कहा, “प्रदेश की जनता लंबे समय से सशक्त भू-कानून की मांग कर रही थी। हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
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दरअसल, उत्तराखंड एकमात्र हिमालयी राज्य है, जहां राज्य के बाहर के लोग पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि भूमि, गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए खरीद सकते हैं। वर्ष 2000 में राज्य बनने के बाद से अब तक भूमि से जुड़े कानून में कई बदलाव किए गए हैं और उद्योगों का हवाला देकर भू खरीद प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। वहीं लोगों में गुस्सा इस बात पर है कि सशक्त भू कानून नहीं होने की वजह से राज्य की जमीन को राज्य से बाहर के लोग बड़े पैमाने पर खरीद रहे हैं और राज्य के संसाधन पर बाहरी लोग हावी हो रहे हैं, जबकि यहां के मूल निवासी और भूमिधर अब भूमिहीन हो रहे हैं। इसका असर पर्वतीय राज्य की संस्कृति, परंपरा, अस्मिता और पहचान पर पड़ रहा है। जिस वजह से लंबे समय से सशक्त भू कानून की मांग उठ रही थी।

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