एक सप्ताह तक मनाया जायगा इस बार ”राज्य स्थापना दिवस ”

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State Foundation Day

उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो संस्कृति व रीती -रिवाजो के लिए देश विदेशो में भी जाना जाता है। उत्तराखंड राज्य का बनना इतना आसान नहीं था, कई लोगो ने अपनी जान की कुर्बानियां दी है। काफी मशक्क्त के बाद हमे यह अलग राज्य प्राप्त हुआ है। 9 नवंबर 2000 दिन उत्तराखंड उत्तरपद्रेश से अलग होकर एक नए राज्य के रूप में सामने आया और इस दिन को प्रत्येक वर्ष राज्य स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्रत्येक वर्ष 9 नवंबर 2000 के दिन उत्तराखंड सरकार राज्य स्थापना दिवस मनाती है। इस वर्ष राज्य सरकार एक दिन नहीं बल्कि पूरा सप्ताह राज्य स्थापना सप्ताह मनाने जा रही है। उत्तराखंड सरकार राज्य में 3 नवंबर से 9 नवम्बर तक टिहरी, देहरादून, श्रीनगर, अल्मोड़ा, मसूरी और देहरादून में कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। 3 नवंबर को टिहरी में ‘आवा अपुण घोर’ (आइये अपने घर) कार्यक्रम का आयोजन होगा। 4 नवंबर को देहरादून में ‘मेरा सैनिक मेरा अभिमान’ कार्यक्रम होगा।

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6 नवंबर को श्रीनगर गढ़वाल में महिला सम्मेलन आयोजित होगा। जिसमे महिलाओ से वार्तालाप व उनकी समास्याओं के बारे बातचीत होगी। 7 नवंबर को अल्मोड़ा में युवाओं पर केंद्रित ‘मेरा युवा मेरी शान’ सम्मेलन का आयोजन होगा। युवाओ की बेरोजगारी व शिक्षा से जुडी बातों पर विचार -विमर्श किया जाएगा फिल्म उद्योग को बढ़ाने के लिए व कलाकरो को आगे बढ़ावा देने के लिए 8 नवंबर को पर्यटन नगरी मसूरी में फिल्म कॉन्क्लेव का आयोजन होगा। जिसमे फिल्मी हस्तियां जुटेंगी व फिल्म उद्योग को लेकर बातचीत की जायेगी। इसके पश्चात राज्य स्थापना दिवस का मुख्य समारोह का आयोजन 9 नवंबर को देहरादून में आयोजित होगा। इस कार्यक्रम के संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने कहा की –

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इस बार का “राज्य स्थापना दिवस” आप और हम मिलकर बनाएँगे बेहद खास, हमारा प्रयास है कि उत्तराखंड के भविष्य से जुड़ी हर रणनीति पर मंथन किया जाएगा। “राज्य स्थापना सप्ताह” मनाने का भी यही उद्देश्य है की प्रदेशहित के बारे में विचार विमर्श किया जाए। साथ ही कहा की विदेश में बसे हमारे उत्तराखंड के प्रवासी भाई-बहनों को उनके गांव से जुड़ने की मुहिम के तहत 03 नवंबर 2019 से 09 नवंबर 2019 तक राज्य के अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। मुख्य सचिव ने कहा कि इन कार्यक्रमों में विभिन्न विषयों पर सामूहिक चर्चा और वैचारिक मंथन किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में प्रवासी उत्तराखंडियों, जो देश के विभिन्न हिस्सों में कार्यरत हैं या रह रहे हैं, उन्हें गांवों से जोड़ने के लिए सरकार प्रयासरत है।”

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जब मुख्यमंत्री ने अपनी इस वीडियो को सोशल साइट पर पोस्ट किया तो उनकी इस कार्यक्रम से संबंधित पोस्ट पर बहुत से लोगों ने कमेन्ट बाक्स अलग-अलग सवाल भी किये हैं। इन सवालों में सबसे अधिक पूछा गया सवाल यह है कि यदि सरकार उत्तराखंड में पलायन को लेकर कार्यक्रम कर रही है तो उसमें उत्तराखंड के गांवों में या सुदूरवर्ती क्षेत्रों में कोई कार्यक्रम क्यों नहीं कर रही है? यह सवाल सोचनीय भी है क्योकि पलायन के प्रति गाँव वासियों को सचेत व प्रेरित करना बेहद जरूरी है वरना गाँवों में बचे लोग भी पलायन कर बैठेंगे।