कहीं कड़वा करेला (bitter gourd) नापसंद तो कहीं मीठा करेला बन रहा सबकी पसंद

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करेला जो की हमेशा अपने कड़वेपन पण के लिए जाना जाता है और यहीं कारण है की अधिकतर लोग करेला खाना नापसंद करते है। (bitter gourd) करेला जितना कड़वा होता है उससे कई ज्यादा उसमे गुण छुपे होते हैं, लेकिन कड़वे होने के कारण कोई करेला खाना पसंद नहीं लेकिन करेले में एक प्रजाति या यूँ कहे की एक करेला ऐसा भी है जिसे खाना सभी पसंद करते है। आश्चर्य की बात यह है की यह करेला कड़वा नहीं बल्कि मीठा होता है। मीठे होने के कारण इसको मीठा करेला कहते है।

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आपको बता दें की इस करेले को भिन्न भिन्न नामो से जाना जाता है। पहाड़ में इसे ज्यादातर कंकोड़ा और कई इलाकों में परबल, राम करेला आदि नामों से भी जाना जाता है। कंकोड़ा ऊंचाई वाले इलाकों में अगस्त से लेकर नवंबर तक उगने वाली सब्जी है। पहाड़ में बरसात की सब्जियों के आखिरी पायदान पर यह लोगों के पोषण के काम आता है। हल्के पीले व हरे रंग और छोटे-छोटे कांटों वाली इस सब्जी मिनटों में तैयार हो जाती है। इसकी सब्जी को धीमी आंच पर पकाई जाती है।

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ज्ञात हो की एक शोध में पता चला है कि  (bitter gourd) कंकोड़ा में न केवल पर्याप्त मात्रा में आयरन मौजूद है, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और खून को साफ करने वाले तत्व भी इसमें हैं। बता दें कि इसमें उपस्थित आयरन शरीर में होने वाली आयरन की कमी होने से एनीमिया, सिरदर्द, चक्कर आना, हीमोग्लोबिन बनने में परेशानी होना जैसी परेशानियां शरीर को पस्त कर देती हैं। इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट अक्सर अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों को रोकने का काम करते है। कंकोड़ा फाइबर, प्रोटीन और कॉर्बोहाइड्रेट की भी खान है। इसके पौधे पर बीमारियों का प्रकोप भी नहीं होता, यह पहाड़ों में खूब पनपता है। अब तो देहरादून व हल्द्वानी जैसे शहरों में कंकोड़ा मिलने लगा है। इस मीठे करेला का वैज्ञानिक नाम सिलेंथरा पेडाटा (एल) स्चार्ड है। इसका एक नाम राम करेला भी है। कहा जाता है की प्रभु राम ने वनवास के दौरान इसका सेवन किया था,तबसे इसे राम करेला भी कहा जाने लगा।

 

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यह करेला सिर्फ खाने में मीठा नहीं है बल्कि कई बिमारियों को भी यह दूर भगाता है। खासकर यह डायबिटीज के लिए कारगर सिद्ध होता है। आप जानते होंगे की कड़वा करेला जहां डायबिटीज का दुश्मन है, वहीं मीठा करेला यानी कंकोड़ा भी डायबिटीज की प्रभावशाली दवा है। सभी तरह के चर्म रोग व जलन में भी यह उपयोगी है। इसकी पत्तियों का रस पेट के कीड़ों को मारने सहायक है। कुष्ठ रोग में भी कंकोड़ा को लाभकारी माना जाता है। इसका स्वरस कील-मुहांसों को ठीक करने के भी काम आता है, जबकि इसकी जड़ को सुखाकर बनाया गए चूर्ण का लेप चर्म रोगों के लिए बहुत उपयोगी है।

सिर्फ मीठा करेला या कड़वा करेला ही हमारे स्वास्थ को सुचारु रूप से नहीं चलाते बल्कि सभी प्राकृतिक सब्जिया हमारे शरीर को स्वस्थ बनाये रखती है।