तो कौन ले गया केदारनाथ की सीट: भाजपा नेता की जीत की कहानी

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केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की महिला प्रत्याशी आशा नौटियाल ने जीत हासिल की है। यह जीत भाजपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, खासकर केदारघाटी में जहां जनता ने आशा नौटियाल पर अपनी उम्मीदें जताई थीं। आशा नौटियाल को भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक के रूप में प्रत्याशी बनाया था। यह उनकी दूसरी बार चुनाव मैदान में उतरने की घटना थी, पहली बार 2017 में हुई थी।

 

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में आशा नौटियाल केदारनाथ विस की पहली विधायक चुनी गईं। उस समय वह भाजपा से प्रत्याशी थीं। इसके बाद वर्ष 2007 में भी उन्हें क्षेत्रीय जनता ने अपना विधायक चुना था। हालांकि, इसके बाद दो बार चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। आशा नौटियाल ऊखीमठ विकासखंड के दिलमी गांव निवासी हैं और एक सामान्य परिवार से संबंध रखती हैं।

आशा नौटियाल का राजनीतिक सफर: भाजपा नेता की जीत की कहानी

आशा नौटियाल, जिन्होंने केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की है, उनका राजनीतिक सफर काफी प्रेरणादायक है। उनके पति रमेश नौटियाल पत्रकारिता से जुड़े रहे हैं।

आशा नौटियाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत वर्ष 1996 में ऊखीमठ वार्ड से निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य के रूप में की थी। इसके बाद, उन्हें वर्ष 1997-98 में भाजपा ने जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी और वर्ष 1999 में उन्हें महिला मोर्चा का जिलाध्यक्ष चुना गया।

 

आशा नौटियाल के सौम्य व्यवहार और निरंतर जनसंपर्क की वजह से वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने केदारनाथ विस से प्रत्याशी बनाया और वह विजयी हुईं। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी दिवंगत विधायक शैलारानी रावत को पराजित किया था।

 

वर्ष 2017 के बाद आशा नौटियाल ने भाजपा में अपनी वापसी की और एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरीं।

इससे पहले, उन्होंने वर्ष 2007 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सिंह नेगी को पराजित कर विजयश्री हासिल की थी। वर्ष 2012 में आशा नौटियाल को कांग्रेस प्रत्याशी शैलारानी रावत से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद, शैलारानी रावत ने वर्ष 2016 में भाजपा में शामिल होने का फैसला किया और वर्ष 2017 में भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया। आशा नौटियाल ने इस फैसले के विरोध में पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहीं। तब, कांग्रेस से मनोज रावत विधायक चुने गए और निर्दलीय कुलदीप रावत दूसरे स्थान पर रहे।

आशा नौटियाल की भाजपा में वापसी: एक नई शुरुआत

कुछ समय बाद आशा नौटियाल की पुन: पार्टी में वापसी हुई और उसके बाद वह क्षेत्र में सक्रिय हो गईं। वर्ष 2022 में भाजपा ने विस चुनाव में दिवंगत शैलारानी रावत को प्रत्याशी बनाया और वह जीत गईं। वहीं, भाजपा ने उस दौरान आशा नौटियाल को महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। जिसके बाद वह सीधे हाईकमान के संपर्क में आ गईं। बीते 9 जुलाई 2024 को भाजपा से केदारनाथ सीट की विधायक शैलारानी रावत का निधन हो गया जिसके बाद यह सीट खाली हो गई। अबकी बार भाजपा ने आशा नौटियाल को ही अपना प्रत्याशी बनाया और केदारनाथ की जनता ने आज उन्हें अपना विधायक। इस बार सदस्यता अभियान में भी वह गांव-गांव संपर्क करती दिखीं और विस क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है जो आज साबित भी हो गई।