बारह महीने की बारह ऋतुओं देखनी हों तो उत्तराखण्ड जैसी और कोई जगह नहीं है,हर महीने के अलग रंग हैं जिसे हिंदू वर्षों के अनुसार भली भांति जाना जा सकता है,ऐसे ही एक गीत मेरु उत्तराखण्ड में गीतकार एवं गायक मिलन आज़ाद ने इन महीनो और पहाड़ की रौनक का वर्णन किया है।
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आर्यन फिल्म्स के माध्यम से रिलीज़ हुआ मेरु उत्तराखण्ड गीत मिलन आज़ाद द्वारा रचित है और अपनी धर्मपत्नी सीमा आज़ाद के साथ स्वर भी दिए हैं,गीत को संगीत दिया है रणजीत सिंह ने।
प्रोमोशनल वीडियो में छायांकन एवं संपादन विकास उनियाल ने किया है। मिलन एवं सीमा आज़ाद ने उत्तराखण्ड की मिट्टी की खुशबू को देश दुनिया तक पहुँचाने का सार्थक कार्य किया है।
सात समुन्दर पार भी अगर कोई इस गीत को सुने तो उन्हें उत्तराखण्ड की संस्कृति जरूर याद आएगी एवं यहाँ की वादियों की याद जरूर आएगी। चैती गीत ,बैशाख के थोल कौथिग,मंगशीर कू जाडू हों या अन्य महीनों का उनके महत्त्व के हिसाब से गीतकार ने बखूबी वर्णन किया है।
काफी समय से उत्तराखण्डी गीत संगीत मे कार्य कर रहे “मिलन आजाद” एक ऐसा नाम है जो समय समय पर अपनी लेखनी व गायकी का कमाल दिखाते रहते हैं “बैसाख मैना” “संजना स्याळी” “चन्द्रिका” जैसे सुपर हिट गीत इन्होने ही लिखे व गाए हैं, साथ ही साथ ये दूसरे गायकों के लिए भी गीत लिखते रहते हैं जिनमें संगीता ढौंडियाल द्वारा गाया हुआ “ढोल दमौ बजिगेना” व मुकेश सती द्वारा गाया हुआ “तरूणी” मुख्य गीत हैं।
मिलन आज़ाद ने बैशाख महीना गीत को भी अलग अंदाज में पेश किया है गीत भले ही जागर गीत न रहा हो लेकिन उसकी ताल किसी जागर के ताल से कम नहीं है और गीतकार संगीतकार ने श्रोताओं के कदम थिरकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
आप भी उत्तराखण्ड की सैर पर निकलिए ‘मेरु उत्तराखण्ड ‘गीत के साथ।
Hillywood News
Rakesh Dhirwan