थोड़ा सा नजर डालें इसके नाम ओर कुल पर मंडुवे का वानस्पतिक नाम Eleusine coracana (Linn.) (एलुसाइनी कोराकैना) हैं ,और ये Poaceae (पोएसी) कुल का सदस्य है। इसे इण्डियन मिलेट (Indian millet), अफ्रीकन मिलेट (African millet), Finger millet (फिंगर मिलेट) आदि के नाम से जाना जाता है।मंडुआ को अपने उत्तराखंड में कोदा या रागी के नाम से जानते है।
व्यंजन जो बनते है हमारे मंडुवे से रोटी के साथ ही इस से बनते हैं स्वादिष्ट व्यंजन जैसे उत्तराखंड में मंडुए की रोटी के अलावा हलुआ भी बनाया जाता है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर मंडुए का सूप, जूस, उपमा, डोसा, केक, चॉकलेट, बिस्किटस, चिप्स आदि बनाने के लिए भी किया जाने लगा है। मेडिकल साइंस ने सुपर फूड की संज्ञा दी है मंडुवे को । इसके सेवन से हमारे शरीर को कई लाभ होते हैं। मंडुए या रागी का उपयोग त्वचा की देखभाल, डायबीटिज, मोटापे, गर्भावस्था में किया जाता है।
फायदे
1-मंडुआ ग्लूटन फ्री होने के कारण इसके सेवन से ग्लूकोज के स्तर में गिरावट आती है। इसके नियमित सेवन से डायबिटीज के मरीज को बहुत फायदा मिलता है।
2-मंडुए के आटे में एमिनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। जो प्राकृतिक तरीके से आपको तनाव मुक्त रखतें हैं आपका स्ट्रेस कम करते हैं।
3-मंडुआ माइग्रेन की बीमारी को कम करनें में बेहद फायदेमंद है।
मोटे अनाज का वर्ष चल रहा है International Year of Millets 2023 से मोटे अनाजों के उत्पादन एवम् प्रमोशन को सफल बनाने के लिए पूरे देश में कुछ न कुछ आयोजन किया जा रहा है. इसी में उत्तराखंड भी है जहां मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने मिलेट्स मिशन योजना चल रही है, इस योजना में सहकारी समितियों के माध्यम से मंडुवा (रागी) खरीदने की व्यवस्था की गई है. इसके लिए एक रिवाल्विंग फंड भी स्थापित किया गया है।
पौष्टिकता
मंडुवा में 1.3% प्रोटीन, 1.3% फैट और 328 कैलोरी पाई जाती है
क्या आप जानते है???
अपना पौड़ी गढ़वाल जिला सबसे ज्यादा मंडुवा उत्पादन कर रहा है. वहीं दूसरे स्थान पर टिहरी तीसरे नंबर पर चमोली । हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर सभी जिलों में मंडुवे का उत्पादन किया जा रहा है।