मात्र 41 रुपये ने बदल दी गायक सौरव मैठाणी की जिंदगी | Biography of Saurav Maithani

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Saurav Maithani

Saurav Maithani biography in Hindi- Wikipedia(सौरव मैठाणी)

आज की इस पोस्ट में हम उत्तराखंड संगीत के उभरते हुए लोकगायक Saurav Maithani के जीवन से जुडे सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा कर रहे है।

सौरव मैठाणी का जन्म 1 जुलाई 1995 को उनके पैतृक गाँव कुवीला खाल ग्राम सभा जोकि रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली ब्लॉक में पड़ता है। सौरव मैठाणी के अनुसार उनके 2 गाँव है। दूसरे गाँव का नाम सेम भरदार है। वह भी रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली ब्लॉक के अंतर्गत ही आता है।
पिता श्री चैतराम मैठाणी जी पेशे से शेफ है जबकि माता श्रीमती हेमा मैठाणी भी एक प्रसिद्ध गढ़वाली लोकगायिका है। जो आकाशवाणी के लिए कार्यरत है।तथा एक कुशल ग्रहणी भी है। परिवार में एक छोटा भाई भी है।

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Education

सौरव जी की प्रारंभिक शिक्षा शिशु मंदिर कुवीला खाल से हुई परन्तु चौथी क्लास में ही वे अपने परिवार के साथ देहरादून आ बसे थे इसलिए उनकी आगे की पढाई एवरग्रीन मॉडर्न स्कूल (इंग्लिश मेडियम) ब्राह्मणवाला से हुई तथा आठवीं से लेकर वारहवी तक की पढाई उनकी SGRR पटेल नगर से हुई।
अभी सौरव श्रीनगर गढ़वाल विश्वविध्यालय से संगीत मे MA की पढ़ाई कर रहे हैं । उन्होने 2012 मे भारतखण्डे संस्कृति महाविद्यालय से क्लासिकल म्यूजिक की भी क्लास ली।

Turning Point

सन 2010 की बात है जब सौरव श्री गुरुरामराय पटेल नगर मे दसवी के छात्र थे। स्कूल की तरफ से एक अन्तर स्कूल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे सौरव को स्कूल की तरफ से अपनी टीम का नेत्रतव करके टीम को लोकगीतो के लिये ट्रेन भी करना था। सौरव ने ये जिम्मेवारी बखूबी निभायी फलस्वरूप उन्हे और उनकी टीम को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।
उनकी टीम का परफोर्मेंस देखकर जज हरि प्रसाद कुखशाल जोकि अब इस दुनिया मे नही रहे। अति प्रभावित हुए और उन्होने सौरव को व्यक्तिगत रूप से अपने पास बुलाया और उन्हे अपने साथ काम करने के लिये आमंत्रित किया।
हरिप्रसाद जी “उत्तरांचल फिल्म विकास समिति” नाम से संथा चलाया करते थे। और एक जानेमाने रंगकर्मी भी थे।

Career or profession

सौरव ने हरि प्रसाद कुखशाल जी के साथ मिलकर कई कार्यक्रमों में प्रतिभाग किया। उन्होने एक कलाकार के रूप मे सबसे पहले डांसर के रूप मे कार्य किया और कही प्रोग्रामो मे प्रतिभाग किया जिनमे से तब की एक बहुचर्चित फिल्म “अन्ज्वाल” भी है।
उन्होने जागर साम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवान, गढरत्न श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी, उत्तराखंड मे युवा दिलो की धड़कन कहे जाने वाले किशन महिपाल जैसे दिगज्जो के साथ उनकी एल्बम में डांस के द्वारा अपनी प्रस्तुति दी।

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Awards & Achievement

उन्होंने “संस्कृति एक सामाजिक संस्था”, “संगम कलामंच”, और “ब्रह्मकमल” जैसी संस्थाओं के साथ भी डांस में प्रतिभाग किया। सौरव बताते है कि उन्होंने काफी समय तक सामाजिक विषयो जैसे कि एड्स, दहेजप्रथा, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, कन्या भ्रूणहत्या पर नुक्कड़ नाटक किये जोकि लोगो द्वारा बहुत सराहे गए।
जब 2013 में उन्हें आकाशवाणी नजीमाबाद से लोकगायक के रूप में रजिस्टर्ड किया गया और उन्हें एक गाने के लिए 3000 रुपये मिले तो मानो सौरव का मन फूलो न समां रहा था फिर तो उन्होंने अपना पक्का विचार बना लिया कि अब इसी में अपना भविष्य बनाना है। फिर क्या था सौरव ने दिन रात मेहनत करके अपनी गायिकी को निखारने लगे। उसी की बदौलत 2015 में उन्हें उत्तराखंड संस्कृति विभाग में A ग्रेड के कलाकार के रूप में चयनित कर लिया गया।

गढ़वाल और कुमाँऊ मंडल के प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट में उन्होंने अपनी प्रस्तुति दी साथ ही वे देश के अनेक राज्यों और शहरों में भी अपना शो कर चुके है।

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सौरव बताते है कि शुरुवात में वे नरेंद्र सिंह नेगी, किशन महिपाल जैसे कलाकारों के साथ मंचो पर सहगायन के रूप में प्रस्तुति दिया करते थे फिर जब दर्शको को उनकी गायिकी पसंद आने लगी तो उन्हें उनके खुद के भी शोज मिलने लगे।

Songs

सौरव ने सबसे पहले पूर्णा फिल्म के बैनर तले खुटियों माँ झवेरी नाम से गीत गाया जिसका संगीत विनोद चौहान जी ने दिया था।
उसके बाद बौ सुरेला, मेरी मठियाणा माँ, तू रेंदी माँ ऊचा पहाड़ मा, गुड्डू का बाबा, “नीलिमा”, हिमगिरि की चेली, ढोल दमों की थाप“, “बाबा भोलेनाथ” , “ननु पदानो” , “जानेमन नाराज़ व्हेगे” , “मुंड धोपैलीऔर अभी कुछ समय पहले ही उन्होंने एक बहुत ही सुन्दर गढ़वाली ग़ज़ल “धागु व्हेगे जिंदिगी” जिसे मधुसूदन थपलियाल जी ने लिखा है और संजय कुमोला जी ने उसे म्यूजिक दिया है गायी।

जोकि लोगो द्वारा बहुत ही पसंद की जा रही है। यहाँ तक कि लोगो का कहना है कि उनकी गायिकी में प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह की छवि झलकती है।

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सौरव बताते है कि उन्होंने नार्थजोन की तरफ से भारत के बिभिन्न राज्यों जैसे, जम्मू, कश्मीर, लद्दाख, पांडुचेरी, कराईकल तथा अन्य राज्यों में अपने शोज किये जहा उन्हें लोगो द्वारा बहुत सराहा गया।

हिल्लीवुड न्यूज़ के एक सवाल के जवाब में “कि यदि सौरव कलाकार नहीं होते तो क्या होते ?
वे बताते है कि वो बचपन से ही पढाई लिखाई में काफी अच्छे थे, तो वे यदि कलाकार नहीं होते तो एकाउंट के फील्ड में कुछ कर रहे होते या शायद छात्र राजनीती में सक्रिय होते।
जब उनके ये पूछा गया कि “अन्य लोगो की कौन सी बाते या खूबियां उन्हें आकर्षित करती है?
तो सौरव बताते है कि कोई भी इंसान अगर अपनी पूरी लगन से अपने कार्य का निर्वहन कर रहा हो या कोई इंसान सिर्फ खुद की मेहनत या बलबूते पर यदि किसी मुकाम पर पहुँच गया हो तो ये खूबियाँ सौरव को उनकी और आकर्षित या यु कहे कि लाइफ में कुछ करने के लिए प्रेरित करती है।

सौरव ने हाल ही में अपना यूट्यूब चैनल “Saurav Maithani Official” के नाम से स्टार्ट किया है।
और वे “मैठाणी म्यूजिक क्लासेज ” के नाम से देहरादून में अपना एक संगीत केंद्र भी चलाते है जहां वे फोक म्यूजिक और वाद्ययंत्रों की क्लासेज देते है।

Saurav_with_Ramesh_Pokhriyal

सौरव की जिंदिगी का एक किस्सा जिसे याद करके वे आज भी गुदगुदाते है।
सन 1999 की बात है जब वे मात्र तीसरी कक्षा के छात्र थे उन्होंने राजकीय इंटर कालेज कुवीलाखाल के वार्षिक समारोह में एक गीत गाया जिसके जनता द्वारा खूब सराहा गया और उन्हें पुरुष्कार के रूप में 41 रुपये और एक डोंगा(स्टील की बड़ी कटोरी) मिला। शाम को मानो बाल सौरव के पैर सातवें आसमान में थे। उन्हें ऐसा लग रहा था कि मानो उनकी लॉटरी लग गयी हो। तभी सौरव कहते है कि मैं भी बडा होकर माँ की तरह एक गायक बनूगा। तब माँ को क्या पता था कि आगे चलकर ये बालक सच में इतना सुन्दर कलाकार बनेगा। “

कहते है कि मनुष्य की जिव्हा में माँ सरस्वती का वास होता है।”

हम हिलीवुड न्यूज़ की पूरी टीम की तरफ से उत्तराखंड संगीत जगत के इस उभरते कलाकार को ढेरों शुभकामनाये देते है और चाहते है कि सौरव इसी तरह अपनी गायिकी में आगे बढ़े और एक दिन वो मुकाम जरूर हासिल करे जो वो चाहते है।

लीजिए सुनिये ये बेहतरीन गढ़वाली ग़ज़ल