मायके की याद दिलाता अर्चना सती के साथ सौरभ मैठाणी का गीत रिलीज, रोने पर मजबूर हुई बेटियां

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लोकगीत किसी भी समाज का आईना होते हैं। लोकगीत सांस्कृतिक प्रगति का इतिहास भी होते हैं। लोकगीतों में लोकजीवन के वे सभी भाव होते हैं जो किसी सांस्कृतिक भू भाग में होते हैं। पुराणों में कुमाऊं को मानस खंड और गढ़वाल को केदारखंड कहा गया है। गढ़वाली लोकगीत मानवजीवन की व्यथित कहानी को व्यक्त करते हैं। इस कठोर जीवन में सबसे सराहनीय पक्ष था कोमल हृदय की सुकोमल भावनाएं, जो बरबस गीतों में शब्द बनकर धरती पर उतर आईं। इन लोकभावनाओं से गुंजायमान यहां की पर्वतमालाओं की घाटियां और शिखर आज भी बयां करती हैं। और अब इस कड़ी में गायिका अर्चना सती और युवा गायक सौरभ मैठाणी का नया खुदेड गीत (गहरी स्मृति/ जैसे मायके की याद ) रिलीज हुआ है जिसे सुन सभी ब्याही हुई बेटियां अपने मायके को याद कर रोने पर मजबूर हो उठी l 

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हमारे लोकगीत समय के सही दस्तावेज हैं। जिस लोक में लोकलाज भी व्याप्त है, वह न ऊंचा देखता है न नीचा। लोक को जो उचित लगता है उस पर गीत तैयार कर इतिहास रच देता है। हमारे समाज में पहले बेटियों को कम उम्र में ही ब्याह दिया जाता था जिस उम्र में बेटी ने अपने भाई बहनों के साथ खेलना होता था उस उम्र में बेटियों के हाथों में घर की जिम्मेदारियां थमा दी जाती थी और उस समय बेटियों का मायका भी इतना शष्क्त नहीं रहता था कि बेटी को हर त्यौहार पर बुलाए या उसकी किसी परेशानी में उसका साथ थे l ससुराल में रह रही बेटियां अपने मायके में ऋतुगीत गाती थी जिन्हें खुदेड़ गीत भी कहा जाता है चैत का महीना बसंत ऋतू का स्वागत करता है यह महीना ससुराल में रह रही लड़कियों के लिए खुदेड़ महीना कहलाता है क्यों कि यह महीना उन्हें मायके की याद दिलाता है l

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बता दें युवा गायिका अर्चना सती के साथ युवा गायक सौरभ मैठाणी ने बसंत ऋतू स्वागत करते हुए नया खुदेड़ गीत ‘CHAITA KU MAINA‘ रिलीज किया है गीत को गायिका अर्चना सती के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल के माध्यम से दर्शकों के बीच जारी किया गया है बेहतरीन गायकों की जुगलबंदी सजे इस गीत को शानदार संगीत ज्योति प्रकाश पंत के द्वारा दिया गया है जबकि गीत में मिक्सिंग मास्टरिंग – PAWAN GUSAIN के द्वारा संभाली गई है l गीत में दोनों गायक झूमते हुए नजर आ रहें और शब्दों का आंनद लेते हुए नजर आ रहें है l वही गीत की खास बात बताते चलें तो गीत में गायिका महीने के प्रारम्भ होने की बात कर रही है तो दुःखी नहीं बल्कि खुश नजर आ रही है और गायक भी इस बदलते समाज के चलते खुशी खुशी मायके जाने को कहता है यह गीत बेटी को इस माहिने के आने पर रुला नहीं रहा बल्कि मैत मुल्क जाने की खुशी को दर्शा रहा है l जिसे सुन  बेटियां खुश भी है और आंशु भी झल्का रही है l

यहां ले गीत का आंनद –

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