सुरेंद्र सत्यार्थी एवं मीना राणा की आवाज में रुकमा प्यारी गीत रिलीज़ !गीत संगीत की दर्शक कर रहे तारीफ़ !

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उत्तराखंडी संगीत जगत में कई गीतकार हुए जिन्होंने अपनी रचनाओं से समाज को मनोरंजन के साथ कई सन्देश देने का काम भी किया,लेकिन कई बार गीतकार गुमनामी में ही रह जाता है गीत की सफलता में रचनाकार का उतना ही हक़ होता है जितना गायक एवं गायिका का,सुरेंद्र सत्यार्थी भी वही नाम है जिनकी कलम से कई सुपरहिट गीतों की रचना हुई है।

रुद्रप्रयाग जिले के खलियाण बांगर निवासी सुरेंद्र सत्यार्थी उत्तराखंडी संगीत में अपनी खास पहचान रखते हैं,उत्तराखंड के कई नामचीन गायकों ने सुरेंद्र सत्यार्थी के लिखे गीतों को आवाज दी है जो काफी सुपरहिट भी रहे,इन गीतों में लोकप्रिय गायक गजेंद्र राणा,गीताराम कंसवाल शामिल हैं।

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सुरेंद्र सत्यार्थी वैसे अब तक कई गीत लिख चुके हैं लेकिन उनमें से कुछ गीतों के बारे में आपको बता दें जो काफी सुपरहिट हुए थे। लोकगायक गजेंद्र राणा हों या आज की पीढ़ी के गायक सभी ने सुरेंद्र सत्यार्थी के गीतों को पसंद किया और उन्हें अपनी आवाज दी। उनके लिखे गीत छकना बांद,देहरादून की भली बन्दोला,छोरी 420, जम्मू कश्मीर मा गजुली लगी गे लड़ाई,चक्का चुंदरी जिन्हें गजेंद्र राणा ने अपनी आवाज दी है उसके बाद इनका नाम सुर्ख़ियों में आया और गायकों का ध्यान इस युवा गीतकार की ओर गया। ये दौर चलता रहा और उनकी कलम में निपुणता बढ़ती गई उन्होंने गीतों गीतों की रचना जारी रखी, युवाओं की पसंद बन चुके गीताराम कंसवाल के कई गीत सुरेंद्र लिख चुके हैं जिसमें ,वीजा लगिगे विदेश मस्कट,रेशमा छोरी,मेरी बजरया गौं की छोरी, बन्दोला तेरा गौं ,बिंदुली बौजी,रामलीला मेरा गौं,तेरी मुखड़ी जैसे गीत सुपरहिट रहे।

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सुरेंद्र सत्यार्थी कलम के साथ ही कंठ के भी धनी हैं,G Series ने आज ही सुरेंद्र सत्यार्थी एवं मीना राणा की आवाज में रिकॉर्ड रुकमा प्यारी गीत रिलीज़ किया है,इसे संगीत से संजय कुमोला ने सजाया है,गीत के शानदार बोल सुरेंद्र की कलम से ही निकले हैं गीत उत्तरखंड के ग्रामीण परिवेश को दर्शाता है,पति एवं पत्नी के संवादों को बेहतरीन गीत के रंग में डाला गया है,चटपटू बने दे भलु अल्लू की थिंचवाड़ी ने तो दर्शकों की वाहवाही लूट ली। जहाँ शराब का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है कैसे शराब शरीर का नुकसान तो करती है साथ ही समाज एवं परिवार को भी इससे काफी नुकसान होता है,जिससे शराबी पति की पत्नी ये बोलने पर मजबूर हो जाती है तुम्हारे नाम की शराब चूल्हा खन्दा(चूल्हे) में रखी है,ऐसा गढ़वाल में किसी को भी बोला जाना बुरा माना जाता है और कहते हैं चूल्हे में तो पित्रों को चढ़ावा दिया जाता है,लेकिन रोज के झगड़ों से तंग आकर मजबूरी वश कोई भी महिला ऐसा कहने को विवश हो ही जाती है।

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सुरेंद्र सत्यार्थी का पहला गीत रुसना रवें की यूट्यूब पर रिलीज़ हुआ था उसके बाद ये सिलसिला लगातार जारी है और अब तक मेरी घमली, मेरा अनु की मांजी,रंजना छोरी, वासुलया बौ,बलमा कू मुबेल, जैसे गीत गा चुके हैं। अपने भूमि के भूमियाल 16 गाँव बांगर पट्टी के राजा भगवान् वासुदेव का जागर गा चुके हैं।

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डीजे सांग्स के शोर में ऐसे गीत सुनने का आनंद ही अलग है तो सुनते हैं रुकमा प्यारी गीत।

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