उत्तराखंड में संस्कृत का पुनर्जागरण

0
राज्य कैबिनेट की बैठक संपन्‍न, 18 मुद्दों पर बड़े फैसले

उत्तराखंड में संस्कृत को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने सभी 13 जिलों में एक-एक संस्कृत ग्राम चिह्नित कर लिया है, जहां कामकाज, बोलचाल और प्रतीकों में देववाणी से गुंजायमान होंगे। इसके अलावा, संस्कृत शिक्षा की बुनियाद को मजबूती देने के लिए हर जिले में पहली से पांचवीं तक पांच संस्कृत विद्यालय खोले जाएंगे। यह कदम उत्तराखंड की राजभाषा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत शिक्षा विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सचिव संस्कृत शिक्षा दीपक कुमार के अनुसार, अगले एक-दो साल में चरणबद्ध ढंग से नई पहल की जाएगी, जिससे संस्कृत शिक्षा को सरकारी तंत्र और आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया जा सकेगा ।इसके लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने संस्कृत ग्राम चिह्नित करने के लिए अपनी रिपोर्ट दे दी है।

ये बनेंगे संस्कृत ग्राम

प्रदेश में देहरादून के डोईवाला ब्लाॅक में भोगपुर संस्कृत ग्राम के लिए चिह्नित हुआ है। इसी तरह टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लाॅक में मुखेम, उत्तराखंड के मोरी ब्लाॅक में कोटगांव, रुद्रप्रयाग के अगस्तमुनि ब्लाॅक का बैजी गांव, चमोली के कर्णप्रयाग ब्लाॅक का डिम्मर गांव, पौड़ी के खिर्सू ब्लाॅक का गोदा गांव, पिथौरागढ़ के मूनाकोट ब्लाॅक का उर्ग गांव, अल्मोड़ा के रानीखेत ब्लाॅक का पांडेकोटा गांव, बागेश्वर का सेरी गांव, चंपावत का खर्क कार्की गांव और हरिद्वार जिले के बहादराबाद ब्लाॅक में नूरपुर व पंजनहेड़ी गांव का चयन संस्कृत ग्राम के लिए किया गया है।

हर ब्लॉक में पहली कक्षा से संस्कृत विद्यालय खुलेगा

हर जिले में सरकार की पांच ऐसे संस्कृत विद्यालय खोलने की योजना है, जहां पहली से पांचवी तक संस्कृत शिक्षा दी जाए। यानी सरकार कम से कम हर ब्लाॅक में एक ऐसा संस्कृत प्रवेशिका (विद्यालय) खोलना चाहती है। फिलहाल परिषद के पास देहरादून से चार और हरिद्वार से एक प्रस्ताव आया है। अन्य जिलों से भी प्रस्ताव आ रहे हैं। प्रदेश में 100 से अधिक संस्कृत विद्यालय व महाविद्यालय हैं, जिनमें तकरीबन सभी में कक्षा छह से शिक्षा दी जाती है।

 

Exit mobile version