काफल के लिए ललचाता राकेश फनियाल का नया गीत रिलीज, एक बार फिर दिलाई काफल पाको की याद

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गर्मियां शुरू हो गई है और इन दिनों उत्तराखंड के जंगलों में काफल का फल पकने को तैयार है। काफल वहीं फल… जिस पर प्रसिद्ध गाना बना है बेडू पाको बारामास नारयणी काफल पाको चैत..।

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बता दें काफल पाको चैत.. ऐसा ही एक और गढ़वाली गीत है ‘काफल की दाणी’ रिलीज हुआ है, जो उत्तराखंड के प्रसिद्ध फल पर आधारित है। यह गीत सुनने में जितना अच्छा है, इसकी कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है। गर्मियों में जैसे ही काफल पक जाते, तो कहा जाता है कि एक चिड़िया चैत के महीने में ‘काफल पाको मैं नि चाख्यो’ कहती है, जिसका अर्थ है कि काफल पक गए, मैंने नहीं चखे..। फिर एक दूसरी चिड़िया ‘र्पुे पुतई र्पुे पुर’ गाते हुए उड़ती है। इसका अर्थ है ‘पूरे हैं बेटी, पूरे हैं’..

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बता दें ‘काफल की दाणी’ ये कहानी जितनी मार्मिक है, उतनी ही उत्तरखंड में काफल की अहमियत को भी बयान करती है। जिसे युवा गायक राकेश फनियाल के साथ ममता फनियाल की बेजोड़ जुगलबंदी में गाया गया है जिसमें खूबसूरत संगीत Faniyal Music का ही रहा है और गायक ने इस गीत को अपने ओफ्फिसियल चैनल के बैनर तले जारी किया गया है l

यहां सुने गीत –

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