Rekha Dhasmana Uniyal is a famous folk singer from Uttarakhand, India. She has been awarded by the “Gopal Babu Goswami Legendry Singer Award” in 2016, by “Young Uttarakhand Cine Awards“. She had sung many super hit Garhwali, Kumauni, and Jaunsari songs but her first debut Kumauni song “mera baju ranga rang bechari” was the big hit of that time, for which she got fame, and recognition.
रेखा धस्माना उनियाल का जन्म 9 मार्च 1964 को पौड़ी गढ़वाल के छतौड़ा गाँव में हुआ। उनकी माता जी का नाम श्रीमती कमला धस्माना है तथा पिता जी का नाम श्री लोकेश धस्माना है। (माता पिता अब दोनो इस दुनिया में नहीं रहे), रेखा के जन्म के 2 साल बाद ही पूरा परिवार दिल्ली में जाकर बस गया था।
Name | Mrs. Rekha Dhasmana Uniyal |
Nick Name | NA |
DOB | 09-03-1964 |
Age | 59 |
Village | Chhatoda, Pauri Garhwal |
Father Name & Occupation | Late Mr. Lokesh Dhasmana |
Mother Name & Occupation | Late Mrs. Kamla Dhasmana |
Highest Qualification | Graduation |
School | Jain Vidya Mandir, Delhi |
College | Delhi University, Delhi |
Income | NA |
Occupation | Artist, Folk Singer |
Sibling Name & Occupation | 4 brothers and 4 sisters |
Height | NA |
Weight | 57 |
Hair Color | Brown |
Eyes Color | Brown |
Sex | Female |
Complexion | Fair |
Zodiac Sign | Sagittarius |
Relationship Status | Married |
Boyfriend Name & Occupation | NA |
Husband Name & Occupation | Mr. Rakesh Uniyal |
Kids | Two – daughter and son |
Hobbies | Singing |
Favorite Singer | Late Lata Mangeshkar and Mohammad Rafi |
Favorite Actor or Actress | Mina Kumari and Dilip Kumar |
Favorite Game | NA |
Favorite Destination | Uttrakhand |
Favorite Food | Anything in veg |
First Debut Song | Meru baju ranga rang bichari (Kumaoni Song) |
Most Popular Song | ‘Nayu nayu byo ch mithi mithi chuin lagola’ and ‘Hey Darji Dida’ |
First Dancing or Singing Partner | Singing partner – Mr. Mohan Singh Manral |
Name of Your First Employer | Late. Gopal Babu Goswami |
Name of Your Current Employer | NA |
Your Favorite Car | NA |
Your Favorite Bike | NA |
Your Favorite City & Why? | Dehradun, because I live here. |
Your Best Friend | NA |
Favorite Song | ‘Isharon Isharon me dil lene wale bata ye hunar tune sikha kahan se’ |
शिक्षा-education & qualification
रेखा धस्माना उनियाल की स्कूली शिक्षा दिल्ली स्थित जैन विद्या मंदिर से हुई और उसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया।
उनको बचपन से ही संगीत का शौक रहा है और जब परिवार रामलीला के समय गाँव आया करता था तो छोटी सी रेखा रामलीला में अपनी गायिकी के कारण एक विशेष आकर्षण का केंद्र होती और सभी लोग उनकी गायिकी के इसकद्र दीवाने थे कि उनको हररोज़ गाना गाने के लिए मंच प्रदान किया जाता।
व्यवसाय- occupation & journey
रेखा जी बताती है कि “मुझे बचपन से ही गाना गाने का बहुत शौक था, तब मैं हिंदी गीत गाती थी। मैं लता जी और रफी साहब की बचपन से फैन रही हूं, उनके गीतों का अनुसरण कर मैं आगे बढ़ती रही। फिर हमारे यहां रामलीला होती थी मैं रामलीला मैं गीत गाती थी तो चारों तरफ तालियों के बजने से मैं खुश हो जाती थी। अपने स्कूल समय में, काॅलेज समय में गाने गान से फेमस हो गई थी, कोई भी कार्यक्रम मेरे बिना अधूरा होता था।
फिर मुझे कैसैट में गाने का मौका मिला, 1983 में मोहन सिंह मनराल जी के साथ गाने का मौका मिला, उसमें गीत था “मेरु बाजू रंगारंग बिचरी”, और “मैलै बियो क्य करो”, तो ये गीत काफी हिट हो गये उसके बाद सवर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी जी के साथ गाने का मौका मिला, तब उनके साथ “ओ भिना कसके जानू दवारहटा”, चार गीत उनके साथ गाये फिर गढ़वाली गाना गाने का मौका मिला। हास्य गीत गाया “मेरु बुडया कु बियो च”, “जुखाम लगयूंच” ऐसे बहुत गीत गाये। चंद्रसिंह राही जी, जगदीश बकरोला जी, कृष्णसिंह पंवारजी, देवराज रंगीला जी, विजय सैलानी जी, संतोष खेतवाल जी, हरीश मधुर जी, नरेंद्र सिंह नेगी जी, भगवती पोखरियाल जी, प्रताप सिंह बाफला इन सभी के साथ मैंने गीत गाये,उसके बाद मेरी शादी हो गई। मैं शादी होकर मुम्बई चली गई।”
मुम्बई जाने के बाद घर गृहस्थी में रम गई, वहां भी स्टेज कार्यक्रम होते रहते थे मैं वहां भी अपना कार्य करती रहती थी।एक बार मैंने अपने गुरु जी जो मुम्बई में ही रहते थे उन्हें गढ़वाली गीत सुनाया तो बहुत खुश हुये कि इतना अच्छा गाती हो अगर तुम मुम्बई में होती तो कहां होती। उनका नाम था श्री मोहन लाल बारोट था, वो मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। उनसे मैंने संगीत का काफी ज्ञान लिया।
समय के साथ बच्चे बड़े हो गये, उनकी शिक्षा पूर्ण हो गई। फिर मेरे पति राकेश उनियाल जी का पूरा साथ मेरे साथ रहा, उनहोंने कहा तुम अपनी कला को आगे बढ़ाओ, ईशवर ने तुम्हें इतना अच्छा सुर दिया है इसको आगे बढ़ाओ, फिर से मैं स्टेज प्रोग्राम करने लगी। डॉक्टर माधुरी बड़थवाल जी के साथ लोकसंगीत और मांगल सीखने को मिला। इस महान विद्या को मैंने भी आगे बढ़ाने का फैसला किया और आज के समय में मैने काफी बच्चों और महीलाओं को सिखाया, आज ये मांगलगीत सब जगह फैल गया है। आज के समय बहुत खुशी होती है कि ये हमारी लोकपरंपरा हर जगह फैल गई है। कोई शादी विवाह ऐसे नहीं है जहां मागल़ न हो और अब तो फैशन भी बन गया है।
प्रसिद्ध गाने-famous songs
- मेरु बाजू रंगारंग बिचरी
- मैलै बियो क्य करो
- ओ भिना कसके जानू दवारहटा
- मेरु बुडया कु बियो च
- जुखाम लगयूंच
- दर्जी दिदा
- नयू नयु ब्यो च मिठी मिठी छ्वी लगोला
- देणा होया खोई का गणेशा
- मेरी छैल छबीली
- आजकल सब रंगमत
- हल्ला ना करा
- शुभ मांगल गान
- मेरु सॉंझाडिया बैख
- हाथ कू रुमाल
- लौंडा रे गोविंदु
- रेखा धस्माना उनियाल मुंबई कौथिग में
समाज सेवा-Social Work and Initiatives
अपने परिवार के दायित्वों को निभाने के साथ रेखा जी न केवल गायिकी का शौक रखती है अपितु उन्हें समाज सेवा करते हुए और लोगो को अपनी बोली भाषा और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने व इसे देश और दुनिया में इसके प्रचार प्रसार करते हुए भी कही बार देखा गया है। वे अपने स्टेज शो के दौरान भी कही बार ये बाते कह चुकी है।
उनका मानना है कि उत्तराखंड को कुदरत ने वो सब कुछ दिया जिसके लिए पूरी दुनिया तरसती रहती है। चाहे खानपान हो, संस्कृति हो, या चाहे प्रकृति हर लिहाज़ से उत्तराखंड देश में अव्वल है बस कमी है तो इसके हर पहलू को सही तरह से देश और दुनिया के सामने रखने की। आज उनके और डॉक्टर माधुरी बड़थवाल जी के ही अथक प्रयासों से नयी पीढ़ी ने मांगल को फिर से हर शादी व्याह में नए रूप में अपनाया है।
जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने अपना नाम यूनिक रखा है जिसमे धस्माना और उनियाल दोनों ही है तो उनके अनुसार “मैं रेखा धसमाना उनियाल हूं, पहला वाकाया तो यही है कि लोग मुझसे पूछा करते हैं कि अब आप उनियाल हैं तो धसमाना क्यों लगाती हैं?तो मैं माइके से धसमाना हूं और जब मैने गाना गाना शुरु किया तब मैं धसमाना थी शादी के बाद उनियाल हो गई तो लोगों को ध्यान रहे कि ये ही रेखा धसमाना ही रेखा उनियाल है।”
सम्मान-Awards
वैसे तो रेखा जी को कही सम्मानों से सम्मानित किया गया है परन्तु जब उन्हें 2016 में “गोपाल बाबू गोस्वामी लेजेंड्री सिंगर अवार्ड्स“ सम्मान से नवाज़ा गया तो रेखा जी बताती है कि वो पल उनके लिए बहुत ही उत्साह वर्धक रहा क्यूंकि रेखा जी के गायिकी के जीवन पर स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी जी का काफी प्रभाव रहा।
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