देवभूमि उत्तराखण्ड देवताओं की भूमि है और यहाँ के कण-कण में देवी -देवताओं का वास माना जाता है,देश के चार प्रमुख धामों के साथ पांच बद्री ,पांच केदार ,और पांच प्रयागों सहित अनेक तीर्थ स्थल एवं स्थानीय भूमियाल देव हैं जिनकी अलग अलग मान्यताएं हैं।
रुद्रप्रयाग जिले के लस्या पट्टी पालकुरली गाँव में नरसिंह भगवान् विराजमान हैं जो कि इस गांव के कुलदेव भी हैं,युवा गायक राम कौशल ने नरसिंह भगवान की स्तुति जागर स्वरुप की है,जागर की रचना सोबन राणा ने की है और संगीत संजय राणा ने दिया है।
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उत्तराखण्ड में कुछ सालों पहले पशुबलि की प्रथा थी हालाँकि अभी भी ये प्रथा विराजमान है और अपने इष्ट देव को खुश रखने के लिए बलि कई स्थानों पर दी जा रही है ,लेकिन पुरातन समय की तुलना में अब ये प्रथा जनजागरूकता एवं पशु हत्या के विरुद्ध लोगों में आक्रोश के चलते काफी हद तक कम हो गई है ,ऐसी ही प्रथा थी पालाकुराली गाँव में भी लेकिन अब यहाँ भी बलि प्रथा का अंत हो चुका है और अब नरसिंह भगवान को भी रोट प्रसाद का भोग लगाया जाता है, और छत्र चिमटा चढ़ाया जाता है हर वर्ष माघ महीने की संक्रांति को यहाँ पर जग्गी का आयोजन होता है ,और नरसिंह देव के साथ अन्य स्थानीय भूमियाल देवता भी उनकी डोली के साथ नागराजा ,जगदी माता,नगेला देवता की डोली भी नृत्य करती है। स्थानीय लोगों की मान्यता है काली कुमाऊं से नमक की कंडी में यहाँ आए थे और पालकुराली में मन रम जाने के बाद वही पर मंदिर बनाने को कहा। तब भक्तों ने दुगड्डा के ऊपर नरसिंह देव का मंदिर बनाया। राणा वंश नरसिंह भगवान् के मुख्य पुजारी हैं।
जागर के माध्यम से गायक राम कौशल ने नरसिंह भगवान की स्तुति शानदार की है ,देव-स्थल देवभूमि के देवों की कहानी पूरी दुनिया तक पहुँचाया है,और इस पवित्र भूमि का मान बढ़ाया है। विष्णु अवतारी नारसिंह भगवान अपनी धियाणियों(क्षेत्र की महिलाएं)के धर्म भाई माने जाते हैं,साथ ही भाई का फर्ज निभाते हैं अपनी धियाणा की एक पुकार पर नौ कोस की छलांग लगाते हैं। पालकुराली के नरसिंह भगवान की गाथा दूर-दूर तक फैली है,टिहरी जिले की अंतर्गत भिलंग घाटी और हिंदाव पट्टी में भी नरसिंह भगवान के गुण-गान गाए जाते हैं।
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Hillywood News
Rakesh Dhirwan