उत्तराखण्ड के लोक गायक प्रीतम भरतवाण (Pritam Bhartwan ) ने अपने सोशल अकाउंट फेसबुक में लाइव आकर दर्शकों को सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्मो पर आज से शुरू होने वाली शृंखला अपना गीत अपना जागर के बारे में बताया है।
जिस तरह से धीरे-धीरे देहरादून का फैशन बदल रहा है। ठीक वैसे ही उत्तराखंड के गीत संगीत में भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। एक ज़माना था जब उत्तराखंड के बड़े बुजर्ग ही गीतों को सुनने में ज़्यादा रूचि रखते थे। लेकिन आज डिजिटल की इस दुनिया में बड़े बुज़र्गों के साथ-साथ बच्चों से लेकर जवानों की जुबान में भी उत्तराखंडी गीतों का स्वाद देखने को मिल रहा है। भले ही आज उत्तराखण्ड के गीतों का ट्रेंड काफी बदल रहा है, लेकिन आज भी लोगों के दिलों में उत्तराखंड के जाने -माने लोक कलाकार ही समाते है।
उत्तराखण्ड के वो लोक कलाकार जो ऑडियो कैसट्स से लेकर यूट्यूब की दुनिया में भी निरंतर अपना जलवा बिखेर रहे है और आज भी उत्तराखण्ड के लोक गीतों, जागर आदि के ज़रिये उत्तराखण्ड की विरासत,परम्परा और संस्कृति बचाने में अपनी अपनी अहम भूमिका निभा रहे है, उनमे से एक नाम प्रीतम भरतवाण का आता है .
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आज के डिजिटल युग में भी प्रीतम भरतवाण सोशल मीडिया के ज़रिये अपने दर्शकों के साथ समय -समय पर जुड़ते रहते है और दर्शकों का खूब मनोरंजन भी करते है। जैसा कि आप सब जानते है कि कोरोना की महामारी के चलते उत्तराखण्ड संगीत जगत कई दिनों से ठप पड़ा हुआ है। जिसके चलते नये -नये गीतों पर कुछ समय के लिये विराम लगा हुआ है। लेकिन इन सभी के बीच प्रीतम भरतवाण सोशल मीडिया के ज़रिये अपने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करते हुए दिखाई दे रहे है। कभी कोई अपना पुराना गीत गाकर तो कभी जागर सुना कर दर्शकों के दिलों को बहला रहे है। हाल ही में प्रीतम भरतवाण ने एक बार फिर से अपने सोशल अकाउंट फेसबुक में लाइव आकर दर्शकों को खुश कर दिया है।
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प्रीतम भरतवाण ने फेसबुक में लाइव आकर जानकरी देते हुए कहा कि “लोक की यह परम्परा विरासत है ,और विरासत समाज का दर्पण है। इसी के चलते आज से सोशल मीडिया के अलग -अलग प्लेटफार्मो द्वारा गीत ,लोकगीत एवं जागर पवांडो की शृंखला शुरू हो रही है। जिसका नाम है “अपना गीत, अपना जागर। कृपया ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस शृंखला का हिस्सा बने। वीडियो के अंत में “नरसिह जागर” सुनाकर प्रीतम ने दर्शकों का धन्यवाद भी किया।
आपको बता दे कि प्रीतम उत्तराखण्ड में बजने वाले ढोल के ज्ञाता हैं। वे एक अच्छे जागर गायक और ढोल वादक के साथ ही अच्छे लेखक भी हैं। साथ ही उन्हें दमाऊ, हुड़का और डौंर थकुली बजाने में भी महारत हासिल है। जागरों के साथ ही उन्होंने लोकगीत, घुयांल और पारंपरिक पवाणों को भी नया जीवन देने का काम किया है।
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