लोगों को खूब पसंद आ रहा दहेजलोभियों पर चोट करता गीत, आप भी सुने

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दहेज़ भारतीय संस्कृति का सबसे बुरा अभिशाप है,हिंदुस्तान में लोग शिक्षित तो हुए हैं अच्छे अच्छे पदों पर आसीन भी हैं लेकिन इक्कीसवीं सदी के इस युग में भी दहेज़ जैसी बीमारी फैली जा रही है,दहेज़ के हजारों मामले आए दिन अख़बारों की सुर्खियां बनी रहती हैं,इसमें पिसती है तो सिर्फ एक बेटी जिसके सारे सपने दहेज़ की भेंट चढ़ जाते हैं। 

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उत्तराखंड की बाल गायिका शगुन उनियाल जिन्होंने कई गढ़वाली गीतों को आवाज दी है,इनकी आवाज में रिकॉर्ड गीत ‘Dahej’ का वीडियो यूट्यूब पर रिलीज़ किया गया है,संवेदनशील विषय दहेज़ पर गीत की रचना Manmohan Sagar ने की है इसे धुन Vipin Saklani ने दी है,जिसका वीडियों यूट्यूब चैनल Khaliyan Production के बैनर तले साझा किया गया है l गीत के बोल बेहद शानदार रचे गए है जिनको सुनने के बाद कोई भी निर्दयी व्यक्ति रो पड़ेगा कि आखिर एक बाप अपने कलेजे के टुकटे को देने के बाद भी उस फूल को अपने आँखों के सामने मुर्झाता देखता है जिस बाप ने कभी अपनी बेटी पर पांच उँगलियों का  छाप नहीं पड़ने दियाआज वह बेटी इस कुप्रथा के नीचे दबते हुए सफ़ेद कपडे में लपटे हुए पडी है  l

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दहेज़ प्रथा के खिलाफ काफी कुछ कहा-सुना जाता है, इसका विरोध भी होता है लेकिन इसके बावजूद आज भी कई जगह इस कुप्रथा को माना जाता है, इस शताब्दी में भी लड़की के मां-बाप बेटी की शादी के लिए सालों पहले से बचत करनी शुरू कर देते हैं, लेकिन इसके बाद भी कुछ दहेजलोभियों का मन नहीं भरता, दहेज़ लेने के बाद भी लड़की को मायके से और भी सामान लाने के लिए प्रेशर दिया जाता है, अगर डिमांड नहीं मानी गई तो लड़की को मारने से भी नहीं हिचका जाता l

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दहेज़ एक अभिशाप है इसका उदहारण हम अपने आस पास आए दिन देखते ही रहते हैं,कैसे हँसते खेलते परिवार के आँगन में एकदम से सूनापन छा जाता है ये कोई नई बात नहीं है,लेकिन इसके बारे में मात्र बात करके ही या गोष्टी आयोजित करके ही इसका निवारण नहीं होगा,इसके लिए समाज को जागरूक होना पड़ेगा,दहेज़ लेने से पहले सोचना होगा अगली बारी हमारी होगी तब कहाँ से दिया जाएगा। अगर आप भी बेटियों को बचना पढ़ाना चाहते है तो एक बार आप इस गीत को सुने और इस समाज में फ़ैली इस कुप्रथा का अंत करें l

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