पम्मी नवल के चर्चित जागर ‘हुरणी को दिन’ का पार्ट -2 हुआ रिलीज।

0

देवभूमि उत्तराखंड में वैसे तो कई प्रतिभाएं हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक राज्य की लोक कला व लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है। उन्हीं में से एक हैं जागर गायिका पम्मी नवल, जिन्होंने देव जागरों को गाकर सभी के बीच अपना लोहा मनवाया है।  गंगू रमोला, पंडों की पंचकेदार जात्रा, अनुसूया माता जागर, गंगा स्नान, जगदी जोन, नंदा देवी, बाडूली , जैसे प्रसिद्ध जागर गाने वाली लोकगायिका पम्मी नवल का गीत “हुरणी को दिन” का पार्ट टू भी अब रिलीज हो गया है।   

यह भी पढ़ें: गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी को मिला ‘Global Brilliance Award’, विदेशी मंच में गूंजा ‘ठंडों रे ठंडों’

दरअसल, Pammy Nawal के यूट्यूब चैनल पर पम्मी नवल के जागर “हुरणी को दिन” का पार्ट two भी अब 9 साल बाद रिलीज हो गया है। जिसके शानदार लिरिक्स खुद जागर गायिका पम्मी नवल के साथ कुलदीप नवल के द्वारा रचे हैं। जिसमें Ashish Nawal का झूमा देना वाला संगीत व् दिल झकझोर देने वाली -Shubhash Pandey की  गजब की रिदम सुनने को मिल रही है। बता दें, वर्ष 2015 में लोकगायिका पम्मी नवल का जागर “हुरणी को दिन” रिलीज हुआ था, जो कि एक चर्चित जागर बना और राज्य के हर कोने से लोगों ने 8 मिनट के इस जागर को प्यार दिया था। जिसके बाद अब गायिका ने सालों बाद जागर का सेकेंड पार्ट भी जारी किया, जिसमें गायिका ठीक उसी एनर्जी के साथ गा रही है।

यह भी पढ़े: Keshar Panwar: अचानक चर्चाओं में आया केशर पंवार का यह गीत, देखें वीडियो!

बता दें, गढ़वाल क्षेत्र में वनदेवियों को आछरी-मांतरी नाम से जाना जाता है। वन देवियों के बारे में कहा जाता है कि जो लोग उनके मन को भा जाते हैं वो उन्हें मूर्छित कर अपने लोक में ले जाती हैं। उसी तरह जागर का मतलब होता है जगाना। वहीं पम्मी नवल के इस पुरे जागर में आछरियों को जगाया जा रहा है। पहाड़ों में आछरियों को लेकर मान्यता है,  कि उगते हुए सूर्य के समय आछरियां जागृत होती है और ढलते हुए सूर्य के साथ यानि की संध्याकाळ के समय डूबने लग जाती है, यानि की शांत हो जाती है। वहीं पहाड़ों में आछरियों को लेकर कई तरह की किवदंतियां है, जिनको पम्मी नवल ने अपने जागर में गा कर प्रस्तुत किया है और मीठे शब्दों में बयां किया परिलोक से लेकर इंद्रलोक, खेटखाल और ऊचें-ऊचें कैलाशों में परियों के नाच को।

 यह भी पढ़ें: एक बार फिर चला रमेश बाबू की आवाज का जादू, आपने सुना क्या ?व

वहीं , इस जागर की शूटिंग के लिए उत्तराखंड की खूबसूरत-खूबसूरत जगहों को चुना गया है और  Gopeshwar, Chopta, Dugal Bitha, Gangol Gaun, Makku Math में पुरे गीत को शूट किया गया है , वही जागर के विडिओ में मुख्य भूमिका में नज़र आई है, Nikita Patwal, Rekha Rawat, Divya Negi, Priya Kohli, Vinita Negi, Varsha, Soniya Rajput, Neha, Amrita, Ambika Bisht, Ritu, Niharika, Devesh Kothiyal, Deepak Sharma, Atul Kohli और Ashish Nawal के द्वारा निभाई गई है। Crab Bawa के फिल्मांकन में बना यह जागर किसी के भी रौंगटे खड़े कर देगा।

‘हुरणी को दिन’ से मिली पहचान

बता  दें, लोक संस्कृति के पुरोधा गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी और लोक गायिका रेखा धस्माना को अपना आदर्श मानने वाली पम्मी नवल ने काफी संघर्ष किया है। जिसके बाद 2000 में इनकी पहली कैसेट ‘बाडुली’  लोगों के बीच आई, जिसे  काफी सराहना मिली और  इसके बाद पम्मी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पम्मी नवल द्वारा गाया गया यह जागर ‘हुरणी को दिन, तुरैणी निभीगे’ ने जबरदस्त धूम मचा दी।  इस जागर ने पहाड़ के हर गांव में धूम मचाई। और उस वक्त पहाड़ों में कोई भी आयोजन ऐसा नहीं होता था, जिसमें यह जागर नहीं बजता हो। बल्कि आज भी इस जागर का बज लोगों के बीच बना हुआ है, जिसमें नर से लेकर नारायण नाचते हैं।

 

Exit mobile version