अपने जीवन की ढाई बीसी यानी पूरे पांच दशक अपनी जन्मभूमि के गीत संगीत को समर्पित करने वाले उत्तराखंड के गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की एक सौ एक चुनिंदा रचनाओं का भाष्य वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ललित मोहन रयाल के द्वारा किया गया है। बता दें, विनसर प्रकाशन देहरादून ने इस 388 पृष्ठों की पुस्तक का शीर्षक “कल फिर जब सुबह होगी” के नाम से प्रकाशित किया है।
यह भी पढ़ें: मोहन बिष्ट और मीना राणा की आवाज में मचा धमाल
दरअसल, गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की एक सौ एक चुनिंदा रचनाओं का भाष्य पुस्तक विमोचन 12 अगस्त को यानि की गढ़रत्न नेगी के 75वें जन्मदिवस के ख़ास मौके पर राजधानी देहरादून में आयोजित होगा। नरेन्द्र सिंह नेगी उत्तराखण्ड के एक महान लोक गायक हैं, जिन्होंने उत्तराखण्डी लोक संगीत को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके गानों में उत्तराखण्ड की संस्कृति, परंपरा, और लोगों की भावनाओं का सुंदर मेल देखने को मिलता है और आज भी अपने बेहतरीन गीतों के माध्यम से गढ़वाली भाषा को जीवंत रखा है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि, जब नरेंद्र सिंह नेगी महज 19 साल के थे, उस समय 1968 में भाषा आंदोलन हुआ था। और इस आंदोलन में नरेंद्र सिंह नेगी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था जिसके कारण उन्हें 65 दिन बिजनौर सेंट्रल जेल में बिताने पड़े थे और तब से लेकर आज तक नेगी दा का योगदान उत्तराखण्डी लोक संगीत को बढ़ावा देने में अतुलनीय रहा है। उन्होंने उत्तराखण्ड की संस्कृति को दुनिया भर में प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और उत्तराखण्ड के लोगों को अपनी जड़ों से जुड़ने में मदद की है। बता दें, नेगी दा उत्तराखण्ड की संस्कृति के एक महान संवाहक हैं और उनके गीत हमेशा उत्तराखण्ड की संस्कृति की धरोहर बने रहेंगे।
यह भी पढ़ें: केशर पँवार के “सरुली” गीत का वीडियो कर रहा दर्शकों को आकर्षित!
नरेन्द्र सिंह नेगी के गीतों में उत्तराखण्ड की संस्कृति की गहराई और समृद्धि दिखाई देती है। उनके गानों में उत्तराखण्ड के लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है, जैसे कि प्रेम, विरह, उत्सव, और संघर्ष। उनके गीतों में उत्तराखण्ड के प्राकृतिक सौंदर्य का भी सुंदर वर्णन होता है, जो श्रोताओं को आकर्षित करता है।नेगी दा के गीतों की एक अनोखी बात यह है कि वे उत्तराखण्ड की संस्कृति को आधुनिक समय में भी प्रासंगिक बनाए रखते हैं। उनके गाने नई पीढ़ी को उत्तराखण्ड की संस्कृति से जुड़ने और इसकी महत्ता को समझने में मदद करते हैं। और हमेशा गीतों में उत्तराखण्ड के प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति, और लोगों की जीवनशैली का सुंदर चित्रण दिखाते हैं।