उत्तराखंड सरकार की नई आवास नीति: अब घर का सपना होगा पूरा

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उत्तराखंड सरकार ने गरीबों और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। धामी कैबिनेट ने राज्य की नई आवास नीति को मंजूरी दे दी, जिससे गरीबों और मध्यम आय वर्ग के लोगों को घर का सपना पूरा करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, उत्तराखंड सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को और भी सुलभ बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब सभी मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में इलाज के लिए 20 रुपये में ओपीडी की पर्ची बनेगी, जिससे मरीजों को इलाज के लिए कम पैसे देने होंगे।
उत्तराखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग के लोगों को घर का सपना पूरा करने का मौका मिलेगा। बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड आवास नीति नियमावली-2024 को मंजूरी दी गई। इस नीति के तहत आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग के लाभार्थियों की पात्रता के लिए सालाना आय की सीमा को तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया है।
दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने निम्न आय वर्ग (एलआईजी) और निम्न मध्यम आय वर्ग (एलएमआईजी) के लोगों के लिए सस्ते आवास बनाने का निर्णय लिया है। एलआईजी के लाभार्थी के लिए वार्षिक आय पांच से नौ लाख रुपये और एलएमआईजी के लिए वार्षिक आय नौ से 12 लाख रुपये होनी चाहिए। यह निर्णय राज्य में आवास की कमी को दूर करने और गरीबों को सस्ते आवास प्रदान करने के लिए लिया गया है।

उत्तराखंड सरकार ने ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एलएमआईजी वर्ग के लिए आवास योजना की दरें निर्धारित की हैं। ईडब्ल्यूएस लाभार्थियों के लिए आवास की कीमत नौ लाख रुपये होगी, जबकि एलआईजी के लिए यह 15 लाख रुपये और एलएमआईजी वर्ग के लिए 24 लाख रुपये होगी। आवास योजना के तहत बुकिंग की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। ईडब्ल्यूएस आवास की बुकिंग 1000 रुपये में, एलआईजी की बुकिंग 2000 रुपये में और एलएमआईजी की बुकिंग 5000 रुपये में की जा सकेगी।

 

 

इसके अलावा, उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में 350 करोड़ और मैदानी क्षेत्रों में 700 करोड़ से अधिक निवेश वाली परियोजनाओं के लिए अलग से पैकेज लाने का निर्णय लिया है। इन परियोजनाओं को इस आवास नीति में शामिल होने की बाध्यता नहीं होगी। कैबिनेट ने आवास योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी को भी बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब लाभार्थियों को डेढ़ लाख रुपये की जगह दो लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।