Narendra Singh Negi was born on 12 August 1949, he is also referred as “Garh Ratan”, he is one of the most prominent folk singers of Uttarakhand music industry, he is a composer, writer, singer, and a poet of the Garhwal region of Uttarakhand. His work in the field of music is an inspiration for all the upcoming singers of Uttarakhand.
जानिए नरेंद्र सिंह नेगी जी के जीवन से जुडे कुछ रोचक तथ्य। (Know Everything About Narendra Singh Negi)
नरेंद सिंह नेगी एक ऐसी शख्सियत जिन्हे शायद ही किसी परिचय की आवश्यकता हैं। नरेंद्र सिंह नेगी जी गायक, कवि , परफ़ॉर्मर, संगीतकार और महान लेखक भी हैं। उत्तराखंड के “गढ़ रत्न” कहे जाने वाले नरेंद्र सिंह नेगी जी जिन्होंने अपने गीतों से उत्तराखंड का नाम भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में गौरान्वित किया हैं।
ऐसा माना जाता है कि उनपर सरस्वती मैया की आपार कृपा हैं।
उत्तराखंड की संस्कृति उनके रोम रोम में बस्ती हैं , उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा, ऐतिहासिकता, पौराणिकता, पर्यावरण संरक्षण, उत्तराखण्ड के लोगो की आजीविका, राजनीती, समाज तथा जीवनशैली को अपने गीतों में बहुत ही सुन्दर तरीके से पिरोया हैं उत्तराखंड की सम्पूर्ण झलक उनके गीतों में पायी जाती हैं, ऐसा माना जाता हैं
कि उत्तराखंड के विष्य में अगर कुछ भी जानना हैं तो उनके द्वारा गाये हुए गीत सुने। उनका कहना हैं कि बोली-भाषा रहेगी तो संस्कृति भी बचेगी, संस्कृति को बचाना समाज का भी कर्त्तव्य हैं।
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नरेंद्र सिंह नेगी जी के बारे में। (About Narendra Singh Negi)
नरेंद्र सिंह नेगी जी का जन्म उत्तराखंड में स्तिथ पौड़ी जिले के पौड़ी गांव में 12 अगस्त 1949 को हुआ था। उनके पिता जी आर्मी में नायब सूबेदार थे और माता जी एक गृहिणी थी। वह भी आर्मी में भर्ती हो कर अपने पिता जी की तरह देश की सेवा करना चाहते थे पर किसी कारणवश यह संभव ना हो पाया।
नरेंद्र सिंह नेगी जी का परिवार (Family of Narendra Singh Negi)
नरेंद्र सिंह नेगी जी का विवाह उषा नेगी जी के संग हुआ। उनकी दो संताने हैं एक पुत्र कविलास नेगी व एक पुत्री रितु नेगी।
नरेंद्र सिंह नेगी जी की शिक्षा (Education of Narendra Singh Negi)
उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव पौड़ी के विद्यालय से सम्पन की और अपनी स्नातक (graduation) के लिए वह अपने चचेरे भाई अजीत सिंह नेगी के साथ रामपुर चले गए। जहा उन्होंने अपने चचेरे भाई जोकि संगीत के प्रोफेसर थे से तबला बादन भी सीखा, और यही से उनकी रूचि संगीत जगत एवं गायन की
ओर बढ़ती गयी जोकि आजतक कायम है।
नरेंद्र सिंह नेगी जी का व्यवसाय (Career of Narendra Singh Negi)
अपनी पढ़ाई पूर्ण करने के पश्च्यात नेगी जी को जिला सूचना अधिकारी (District Information Officer) के पद पर तैनाती मिली परन्तु अपनी संगीत की ललक को उन्होंने यहाँ भी कायम रखा फलस्वरूप सरकारी नौकरी के साथ साथ उन्होंने आकाशवाणी लखनऊ के प्रादेशिक केंद्र से गढ़वाली गाने भी गए ।
वह सूचना और जनसंपर्क विभाग (Information and Public Department) में जिला सूचना अधिकारी (District Information Officer) के पद पर कार्य भी कर चुके हैं।
संगीत व्यवसाय (Music Career of Narendra Singh Negi)
संगीत में उन्हें बचपन से ही रुचि थी पर उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक संगीतकार बनेंगे। वह तो आर्मी ज्वाइन करना चाहते थे पर उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने 1000 से अधिक गीत गाए हैं। उन्होंने अपना पहला गीत पहाड़ो की महिलाओं के कष्टों से भरे जीवन पर आधारित गाया। इस गीत को लोगो ने बहुत पसन्द किया सब को लगा जैसे कि यह गीत उन्ही के लिए गाया गया होगा, इस गीत के बोल “सैरा बसग्याल बोण मा, रुड़ी कुटण मा, ह्युंद पिसी बितैना, म्यारा सदनी इनी दिन रैना ” (अर्थात बरसात जंगलो में, गर्मियां कूटने में, सर्दियाँ पीसने में बितायी, मेरे हमेशा ऐसे ही दिन रहे ) लोगो के जीवन को छु गए थे। इस गीत की सक्सेस के बाद उन्होंने उत्तराखंड के गायन की हर एक शैली जैसे कि जागर, मांगल, बसंती झुमेला, औज्यो की वार्ता, चौंफला, थड्या आदि में भी गाया हैं। उन्होंने अपने गीतों से हर विष्य को छूने की कोशिश की हैं जैसे कि जन सन्देश, सुख दुःख, प्यार प्रेम, देवी देवताओं के भजन, गाथाएँ, बच्चो के लिए लोरियाँ आदि।
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वह उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक संगीतकार (Folk Singer) के रूप में उभर के सामने आये।उन्होंने उत्तराखंड की तीनो भाषाए जैसे की गढ़वाली, कुमाऊनी तथा जौंसारी में भी कई गीत गाये। वैसे तो उन्होंने हज़ारो गीत गाये हैं उनमे से कुछ चुनिंदा इस प्रकार हैं घुघूती घुरोण लगी, कैका मने की केन नि जाणी, कोई त बात होलि, छम घुंघरू बजिनी, सुना का मैना, तुम्हारी माया मा, ठंडो रे ठंडो, मेरी डांडी कांठ्युं का मुलुक, चली भाई मोटर चली, घर बटि चिट्ठी, आंसू होरि मा, जख मेरी माया रौंदी, मुलमुल के को हसनी छे, तेरी खुद किसे ते नि लगनी, ना उकाल ना उदार आदि।
उन्होंने अपने संगीत की शुरुवात “गढ़वाली गीतमाला” से की थी जो की 10 हिस्सों में विभाजित थी जिसे अलग अलग कंपनियों द्वारा रिकॉर्ड किया जाता था जिसे संभालना थोड़ा कठिन हो गया था तब उन्होंने अपनी पहली एल्बम को रिलीज़ किया जिसका शीर्षक उन्होंने उत्तराखंड के राज्य वृक्ष के नाम पर रखा जो कि हैं “बुरांस” जो कि उनकी सब से प्रसिद्ध एल्बम रही। बुरांस की कामयाबी के बाद उन्होंने कई और एलबम्स भी रिलीज़ की जैसे कि छुंयाल, दग्ड़या, खुद, 100 कु नोट, नयु नयु ब्यो च, जै भोले भंडारी आदि।
उन्होंने कई गढ़वाली फिल्मो में बतौर पार्श्व गायक (playback singer)अपनी आवाज़ दी हैं जैसे कि चक्रचाल, घरजवैं, बेटि ब्वारि, औँसि की रात, सुबेरौ घाम, जय धारी देवी आदि।
कई बॉलीवुड सिंगर्स जैसे कि Udit Narayan, Asha Bhonsle, Lata Mangeshkar, Anuradha Paudwal, Purnima, Suresh Wadekar आदि ने भी इनके निर्देशन में बने कई गढ़वाली फिल्मो में अपनी आवाज़ दी हैं। वह कई वर्षो तक रेडियो स्टेशन में बतौर आकस्मिक कलाकार (casual artist) गाना गाया करते थे।
लोक नायक अब कई कवियों के सम्मेलन में भी भाग लेने लगे हैं तथा जल्द ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उनके द्वारा प्रदर्शन करने की उम्मीद भी हैं।
वह गुलज़ार साहिब के बहुत बड़े फैन हैं। विदेशो में रहने वाला गढ़वाली और कुमाऊंनी समाज (Garhwali & Kumauni NRI’s)अक्सर उन्हें विदेशो में गाना गाने के लिए आमंत्रित करते रहे हैं। उन्होंने कई देशो में परफॉर्म किया हैं जैसे कि कनाडा (Canada),ऑस्ट्रेलिया (Australia), मस्कट (Muscat), न्यू ज़ीलैण्ड (New Zealand),ओमान (Oman),बहरीन (Bahrain), यू. एस. ऐ. (U.S.A.), यू.ऐ. इ. (U.A.E.) आदि।
नरेंद्र सिंह नेगी बतौर लेखक (Narendra Singh Negi as a writer)
वह एक लेखक भी हैं। उन्होंने तीन पुस्तके भी लिखी हैं जिनके नाम हैं “खुच कंडी” जिसका मतलब हैं गन्ने से बनाई गयी टोकरी जो कि सन 1999 में प्रकाशित हुई थी, “गाणियों की गंगा, स्यणियों का समोदर” जिसका अर्थ हैं कल्पनाओं की गंगा लालसा का समुन्द्र जो की सन 2000 में प्रकाशित हुई थी और उनकी तीसरी पुस्तक का नाम हैं “मुठ बोटी की राख” जिसका अर्थ हैं मुट्ठी बंद करके रखना और तैयार रहना इस किताब को शेखर पाठक ने प्रकाशित किया था इसमें उन्होंने नेगी जी द्वारा गए गए सभी आंदोलन गीतों को शामिल किया था। बहुत ही जल्द वह अपनी चौथी किताब भी प्रकाशित करने जा रहे हैं फिलहाल वह उस पे काम कर रहे हैं। उनके द्वारा गाये गए प्रसिद्ध आंदोलन गीत “नौछमी नारेणा” पर एक वरिष्ठ पत्रकार मनु पंवार जी ने 250 पृष्ठों की एक पुस्तक भी लिखी हैं जिसका शीर्षक हैं “गाथा एक गीत की : द इनसाइड स्टोरी ऑफ़ नौछमी नारेणा” (Story of a Song : The Inside story of Nauchhami Narena) जो की 2004 में श्री गणेश पुलिकेशन द्वारा पब्लिश की गयी थी जो की उस समय की काफी चर्चित किताब रही।
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उन्होंने बहुत से आंदोलन राजनैतिक गीत भी गए जिसका राजनीती पर बहुत प्रभाव पड़ा। उनके द्वारा गाया गया एक आंदोलन कारी गीत “नौछमी नारेणा” ने 2007 में कांग्रेस का शासन ही समाप्त कर दिया था और 2012 में गाये गए गीत “अब कथगा खैल्यो” (Ab Kathaga Khailo:मतलब अब कितना खाओगे? ) ने BJP को बहार का रास्ता दिखा दिया था।
उन्होंने टिहरी बांध पर भी गीत गाया जिसमे उन्होंने टिहरी में बनी झील और नगर का पानी में डूब जाने पर भी एक शोकगीत गाया। जब मुलायम सिंह यादव एवं मायावती द्वारा किया गया वादा था जिसमे उन्होंने उत्तराखण्ड को उत्तरप्रदेश से अलग पर्वर्तीय राज्य (Separate Hill State) बनाने का वादा किया था पर भी एक लोक गीत गाकर जनता के बीच जागरूकता फ़ैलाने का कार्य किया था। पर भी गीत गाया।
नेगी जी को 28 जून 2017 को एक बड़ा दिल का दौरा पड़ा था तब लोगो ने उनकी लम्बी उम्र के लिए मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी, तब स्वस्थ्य होने के पश्चात उन्होंने अपने प्रशंसकों को गढ़वाली भाषा में 16 लाइन की एक कविता लिख कर समर्पित की थी।
उनका अपना ऑफिसियल यू ट्यूब चैनल (Official You Tube Channel of Narendra Singh Negi)भी हैं जिसे उन्होंने अपने एक गीत “होरि ऐगे” (Hori Aygee) के साथ सन 2018 में लॉच किया था उनके इस गीत को सन 1992 में गढ़वाली फिल्म बटवारु में इस्तेमाल भी किया गया था।
अवार्ड्स & अचीवमेंट्स (Awards & Achievements of Narendra Singh Negi)
उन्हें शनिवार 10 अप्रैल 2021 को पर्यावरण एवं विकास केंद्र की और से आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा “केदार सिंह रावत पर्यावरण पुरुस्कार” से नवाज़ा गया हैं। उन्हें यह पुरुस्कार अपने गीतों के माध्यम से लोगो को पर्यावरण एवं वनों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए प्रदान किया गया हैं।
उनकी यह सोच सहरानीय हैं। उनका कहना हैं की हमें जल संरक्षण के लिए भी जागरूक होने की आवश्यकता हैं।
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उन्हें सन 2018 को “संगीत नाटक अकादमी पुरुस्कार” (Sangeet Natak Academy Award)से भी नवाज़ा गया था। उन्हें आकाशवाणी लखनऊ द्वारा 10 अन्य कलाकारों के बीच सबसे लोकप्रिय लोक गायक के रूप में पहचाना व सम्मानित किया गया। एक स्थानीय दैनिक ट्रिब्यून समाचार सेवा, हरिद्वार ने नेगी जी के सम्मान में लिखा था कि “गायक की आवाज़ इतनी मीठी हैं जो भाषा की बाधाओं को पार करती हैं “। उनको “पहाड़ो का डायलन” (Dylan of hills) भी कहा जाता हैं डायलन थॉमस (Dylan thomas) एक प्रसिद्ध लेखक एवं कवि हैं।
फिल्मो की सूची (list of movies songs sung by Narendra Singh Negi)
क्रमश | फिल्मो के शीर्षक | रिलीज़ वर्ष |
1 | चक्रचाल | 1996 |
2 | घरजवैं | 1984 |
3 | मेरी गंगा होलि मैमू आली | 2004 |
4 | कौथिग | 1987 |
5 | बेटि ब्वारि | NA |
6 | बंटवारु | 2003 |
7 | फ्योंलि | NA |
8 | ज्वान ह्वेगे | NA |
9 | औंसि कि रात | 2004 |
10 | छम्म घुंघुरु | 2005 |
11 | जय धारी देवी | 2006 |
12 | सुबेरौ घाम | 2014 |
एलबम्स की सूची (list of Albums of Narendra Singh Negi)
क्रमश | एलबम्स के शीर्षक | रिलीज़ वर्ष |
1 | कोई त बात होलि | 2020 |
2 | छुंयाल | 2006 |
3 | दग्ड़या | 1997 |
4 | घस्यारि | 2002 |
5 | हल्दी हाथ | 1995 |
6 | होंसिया उम्र | 2002 |
7 | जय धारी देवी | 1996 |
8 | कैथे खोज्याणी होलि | 2006 |
9 | बसंत ऐगे | 2010 |
10 | माया को मुण्डारो | 2009 |
11 | नौछामी नरेणा | 2006 |
12 | नयु नयु ब्यो च | 2003 |
13 | रुमुक | 2005 |
14 | समदोला क द्वी दिन | 2000 |
15 | स्याणी | 2002 |
16 | ठंडो रे ठंडो | 2004 |
17 | तु होलि बीरा | 2007 |
18 | तुम्हारी माया मा | 2001 |
19 | उठा जागा उत्तराखंड | 2017 |
20 | खुद | 1995 |
21 | अब कथगा खैल्यो | 2012 |
22 | वा जुन्याली रात | 2006 |
23 | तप्पकरा | 1999 |
24 | बरखा | 1992 |
25 | 100 कु नोट | 2017 |
26 | टका छन त टकाटका | 2007 |
27 | कारगिले लडैमा | 1999 |
28 | छिबड़ाट | 1993 |
29 | जै भोले भंडारी | 2017 |
30 | सलाण्या स्याली | 2009 |
31 | गीत गाना | 2002 |
32 | सुरमा सुरीला | 2007 |
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