आस्था का प्रतीक माँ सुरकंडा देवी मंदिर , पढ़े ये खास रिपोर्ट
आस्था व देवी -देवताओ के नाम से भरा है हमारा देश भारत। जहां पर हर भगवान को बड़े श्रद्धा भाव से पूजा जाता है। पूर्ण भारतवर्ष में माँ दुर्गा के 51शक्तिपीठ स्थित है जिन्हे भक्तो द्वारा बड़े श्रद्धा भाव से पूजा जाता है। उत्तराखंड राज्य में माँ सती के कई शक्तिपीठ स्थित है। इन्ही शक्तिपीठो में एक शक्तिपीठ का नाम सुरकंडा देवी मंदिर है।
Surkanda Devi temple
सुरकंडा देवी एक हिन्दूओं का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर देवी दुर्गो को समर्पित है जो कि नौ देवी के रूपों में से एक है। सुरकंडा देवी मंदिर 51 शक्ति पीठ में से है। सुरकंडा देवी मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर कद्दूखाल धनोल्टी , टिहरी जिला, उत्तराखंड, भारत में स्थित है। देवी मंदिर धनोल्टी से 6.7 किलोमीटर और चम्बा से 22 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचाने के लिए लोगों को कद्दूखाल से 3 किलोमीटर के पैदल यात्रा करनी पडती है। यह मंदिर लगभग 2,757 मीटर की ऊंचाई पर है।
Surkanda Devi temple
सुरकंडा देवी मंदिर घने जंगलों से घिरा हुआ है और इस स्थान से उत्तर दिशा में हिमालय का सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। दक्षिण दिशा में देहरादून और ऋ़षिकेश शहरों का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। यह मंदिर साल में ज्यादा दर समय कोहरे से ढका रहता है। वर्तमान मंदिर का पुनः निर्माण किया गया है वास्तविक मंदिर की स्थापना समय का पता नहीं है ऐसा माना जाता है कि यह बहुत प्राचीन मंदिर है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें सती का सर इस स्थान पर गिरा था इसलिए इसे मंदिर को श्री सुरकंडा देवी मंदिर भी कहा जाता है। सती के शरीर भाग जिस जिस स्थान पर गिरे थे इन स्थानों को शक्ति पीठ कहा जाता है। पहले इस मंदिर को सिरखंडा यानी सर का खंड कहा जाता था जिसे बाद में बदल कर सुरकंडा कर दिया गया।
Surkanda Devi temple
सुरकंडा देवी मंदिर में गंगा दशहरा का त्योहार मनाया जाता है जो हर साल मई और जून के बीच आता है। जिसमे प्रत्येक वर्ष मंदिर को फूलो से सजाया जाता है। हजारो की तादार में लोग प्रत्येक वर्ष माता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते है। नवरात्र में यहां जागरण व रात्रि में पारम्परिक मंडाण का आयोजन होता है। यह मंदिर उत्तराखंड के गौरव है। जिन्हे देखने व जिनके दर्शन करने के लिए देश विदेशो से लोग आते है।
सीमा रावत की रिपोर्ट