देवभूमि की रक्षक मां धारी देवी आखिरकार अपने स्थायी स्थान पर हुई विराजमान

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हमारे देश प्राचीन और रहस्यमय मंदिरों की कोई कमी नहीं है। कुछ ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर से थोड़ी दूरी पर स्थित है। जहां मां के कई चमत्कार देखने को मिलते हैं। मां धारी देवी को देवभूमि की रक्षक भी कहा जाता है। लेकिन आपदा और परियोजना के बीच में नौ साल से माँ अपने मंदिर से दूर रही मां धारी देवी आखिरकार आज अपने नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हो गई है। इस दौरान माता के जयकारों से आकाश गुंजायमान हो गया। वहीं माता के भक्तों में भी खुशी की लहर है।

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जानकारी  के अनुसार मां धारी देवी की प्रतिमा को आज (शनिवार) शुभ मुहूर्त में नए मंदिर में स्थापित कर दिया गया। प्रतिमाओं की स्थापना के लिए मंदिर को भव्य तरीके से फूलों से सजाया गया है। चारों धामों की रक्षक मां धारी देवी की प्रतिमा की स्थापना के लिए सिद्धपीठ धारी देवी मंदिर में मंगलवार से पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। पहले दिन मंदिर में शतचंडी यज्ञ करते हुए मां धारी देवी की मूर्ति सहित अन्य देवी-देवताओं के नए मंडप की पूजा-अर्चना की गई।

 

इसलिए बदला गया स्थान –

बता दें कि धारी देवी का मंदिर देवी काली को समर्पित है। इसके साथ ही मां धारी उत्तराखंड के चारधाम की रक्षा भी करती हैं। मां धारी देवी का ये खूबसूरत मंदिर झील के बीचों-बीच बना हुआ है। बता दें कि सिद्धपीठ धारी देवी का मंदिर श्रीनगर से करीब 13 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी किनारे स्थित था। श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह डूब क्षेत्र में आ रहा था। इसके लिए इसी स्थान पर परियोजना संचालन कर रही कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा था, लेकिन जून 2013 में केदारनाथ जल प्रलय के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से प्रतिमाओं (धारी देवी, भैरवनाथ और नंदी) को अपलिफ्ट कर दिया गया।

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