भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद, पढ़े ये रिपोर्ट

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Lord Madmaheshwar

द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए आज सुबह विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं। आज सुबह साढ़े आठ बजे मंत्रोच्चारण के साथ कपाट बंद कर दिए गए। इस दौरान धाम में 150 से ज्यादा भक्तों ने भगवान के दर्शन किए। मंदिर के कपाट बंद होने के बाद बाबा की चल विग्रह उत्सव डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। पहले पड़ाव पर अब बाबा की डोली गौंडार गांव में रात्रि प्रवास करेगी।

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24 नवंबर को डोली छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी। मंदिर समिति द्वारा मंदिर की साज सज्जा के साथ अन्य तैयारियां जोरों पर की जा रही हैं। आज तड़के से ही मंदिर में बाबा मद्महेश्वर की पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। मुख्य पुजारी द्वारा आराध्य का श्रृंगार कर भोग लगाया गया। सभी धार्मिक औपचारिकताओं को पूरा करते हुए गर्भगृह में स्थापित स्वयंभू लिंग को समाधि रूप देकर विशेष पूजा एवं आरती की गई।

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इसके बाद द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की भोग मूर्तियों को चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान किया गया। धाम से विदा होने से पूर्व आराध्य द्वारा अपने पात्रों का निरीक्षण करते हुए मंदिर की तीन परिक्रमा की गईं। इसके बाद हक-हकूकधारियों की मौजूदगी में विधि-विधान व बाबा के आह्वान के साथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। आराध्य के आगमन पर 23 नवंबर से ऊखीमठ में तीन दिवसीय मद्महेश्वर मेला भी शुरू हो रहा है, जिसकी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं।

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