उत्तराखंड जहां कण कण में देवी देवताओं का वास है,चार धामों सहित यहाँ पर कई तीर्थ स्थल हैं, जो उत्तराखंड से लेकर विदेश तक प्रसिद्धि बनाए हुए हैं, उत्तराखंड के इन्हीं सिद्धपीठों में से एक नाम चन्द्रबदनी शक्तिपीठ का भी शामिल है, जिसको लेकर कहा जाता है कि यही वो मंदिर है जो अनेक अलौकिक रहस्यों को अपने आप में समेटे हुए है.
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देवी सती को समर्पित, चंद्रबदनी मंदिर एक पवित्र हिंदू मंदिर है जो समुद्र तल से 2277 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित एक छोटे हिंदू मंदिर चंद्रबदनी को भी शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती का धड़ तब यहां गिरा था जब भगवान शिव उनके जले हुए शरीर को ले जा रहे थे, चंद्रबदनी एक देवता रहित छोटा मंदिर होने के साथ उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है.
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चंद्रबदनी मंदिर में सती के धड़ की पूजा की जाती है, हालांकि श्रद्वालुओं को धड़ के दर्शन नहीं कराए जाते हैं, यहां माता की मूर्त नहीं यंत्र रूप में पूजा होती है, मां के चंद्र समान मुख के दर्शन से ही इस स्थान का नाम चंद्रबदनी पड़ा, संतान प्राप्ति के लिए इस सिद्धपीठ में श्रद्धालु विशेष पूजा करते हैं, दूर-दराज क्षेत्रों से पूजा के लिए श्रद्धालु इस सिद्धपीठ में आते हैं.
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आदि जगतगुरु शंकराचार्य ने यहां शक्तिपीठ की स्थापना की, धार्मिक ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि में चन्द्रबदनी उत्तराखंड की शक्तिपीठों में महत्वपूर्ण है, स्कंदपुराण, देवी भागवत व महाभारत में इस सिद्धपीठ का विस्तार से वर्णन हुआ है, प्राचीन ग्रन्थों में भुवनेश्वरी सिद्धपीठ के नाम से चन्द्रबदनी मंदिर का उल्लेख है, चन्द्रबदनी मंदिर से सुरकंडा , केदारनाथ , बद्रीनाथ चोटी आदि का बड़ा ही मन मोहक दृश्य दिखाया देता है, मंदिर परिसर में पुजार गांव के निवासी ब्राहमण ही मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं, इस स्थान से हिमालय सहित अन्य धार्मिक स्थलों के भी दर्शन होते हैं, वर्ष भर श्रद्धालुओं के लिए यहां कपाट खुले रहते हैं जिससे लोग किसी भी समय आसानी से सिद्धपीठ के दर्शन कर सकते हैं.
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यहां जाने के लिए 2 किलोमीटर पहले ही सड़क खत्म हो जाती है तथा 2 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है,रास्ते में ठंडी ठंडी हवा मन मुक्त कर देती है तथा सफर को और आनंदित बना देती है जिसके चलते श्रद्धालुओं को थकान का अहसास तक नहीं होता जब श्रद्धालु मंदिर के प्रांगण में पहुंचते हैं तब वहां माता के मंदिर के दर्शन तथा चारों तरफ की वातावरण देखकर उनका मन सुशोभित हो जाता है.
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