Narendra Singh Negi : जानें गढ़ रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी के बारे में, कुछ ख़ास गीत

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file photo

नरेन्द्र सिंह नेगी  (Narendra Singh Negi) उत्तराखंड संगीत जगत में कई सारे गायक आये पर शायद ही कोई इनके गीतों का मुकाबला कर पाए। आज हम एक ऐसी महान शख्सियत की बात कर रहे है जो गायकी के साथ साथ लेखनी में भी निपुण है। इनकी लेखन की क्षमता ऐसी है कि सरकार को पलटने पर मज़बूर कर दिया। उनकेगीतों  में जहां प्रेम और विरह है तो वहीं हमारी लोक संस्कृति की झलक उनके गीत में दुःख, दर्द भी हैं तो वही समाज में चल रही कड़वी सचाई भी। (पहाड़ी पहाड़ी मत बोलो जी)

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जी हां ये और कोई नहीं हमारे उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक और गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी है। यदि पहाड़ को जानना है तो नरेंद्र सिंह नेगी जी Narendra Singh Negi  के गीतों से बेहतर उत्तराखंड की संस्कृति को कौन बयां कर सकता है। आज उनके बर्थडे पर प्रस्तुत है ये खास रिपोर्ट। उत्तराखंड के सुर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी जिनका जन्म 12 अगस्त 1949 को पौड़ी जिले में हुआ। नरेन्द्र सिंह नेगी जी के पिता सेना में नायाब सूबेदार थे और माता गृहणी थी। नरेंद्र सिंह नेगी बचपन से ही पिता की तरह फौजी बनना चाहते थे मगर किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही लिखा था। बचपन से ही नेगी जी गांव के त्याहारों और मेलों को देखकर बडे हुए है और यहीं से उनके मन में गीत संगीत के प्रति प्रेम बढ़ा वो सिर्फ शौकिया तौर पर ही गा रहे थे।

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1970 के शुरुआती दौर में गढ़वाली गानों का भी कोई खास स्कोप नहीं था। जिसको लेकर उनके मन में काफी टीस थी कि आखिर गढ़वाली गानों का लोगों को क्रेज क्यों नहीं है उन्होने पाया कि लोगो का गानों से लगाव नहीं है, न गढ़वाली गानों में दुख दर्द था और न ही उत्साह बस नेगी ने यही नब्ज पकड़ी और आम आदमी से जुड़े गीतों को लिखना शुरू कर दिया।

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नरेंद्र सिंह नेगी जी (Narendra Singh Negi) का पहला गाना :
उन्होंने अपना पहला गाना लिखा साल 1973 में जब वो अपने पिता के आंखों का ऑपरेशन कराने देहरादून आए तो जब वो वापस पौड़ी गए और अपने दोस्तों को अपनी पहली लेखनी सुनाई तो उनके दोस्तों को पसंद आई और दोस्तों ने कहा कि बहुत अच्छा लिखा है रोकना मत लिखते रहो और उस दिन से आज तक नरेंद्र सिंह नेगी ने उत्तराखंड को जो दिया है वो किसी से छुपा नहीं है। यह गीत 1974 में रिकॉर्ड किया गया और यह गाना लोगों को बेहद पसंद आया इस गाने से मिले शानदार रिस्पांस के बाद नरेंद्र सिंह नेगी जी ने एक के बाद एक आम लोगों से जुड़े गीत लिखे और गाये और देखते ही देखते नरेंद्र सिंह नेगी पहाड़ की आवाज बन गए।

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नरेंद्र सिंह नेगी जी की पहली एलबम बुरांश:
नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने लिखे और गाए करीब 10 गीतों को एक एल्बम में रिकॉर्ड कराया और बुरांश नाम से पहली एलबम निकाली जो बेहद हिट हुई इसके बाद नरेंद्र सिंह नेगी गीत लिखते गए और साथ ही साथ संगीत की भी शिक्षा लेते रहे नेगी तबला वादक म्यूजिक कंपोजर और साहित्यकार भी हैं उन्होने कई कविताएं भी लिखी हैं नरेंद्र सिंह नेगी जी के गानों में अक्सर समाज के लिए सन्देश छिपा होता है।

नेगी जी के आंदोलन गीत
उत्तराखंड आंदोलन के दौरान गाए उनके गीतों ने पहाड़ में एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया और आंदोलन को धार दी जिसने एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया वहीं राज्य बनने के बाद सरकारों में हो रहे गडबडझालों को भी अपने गीतों के माध्यम से जनता के बीच में लाने का काम किया नरेंद्र सिंह नेगी जी का सबसे चर्चित गीत जिसने पलटकर रख दी थी सत्ता जी हां दोस्तों ये वही नरेंद्र सिंह नेगी है जिन्होंने लाल बत्ती को लेकर नौछमी नराणै गीत गया था। नौछमी नराणै गीत ने सरकार की चूलें हिला दी। नतीजा रहा कि 2007 में एनडी तिवारी की सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आ पाई। इसके बाद बीजेपी सरकार में हो रहे गड़बडियों को भी गीतों के जरिए सबके सामने ऊजागर किया। इतना ही नहीं उत्तराखंड के मुददों को उन्होने अपने गीतों के जरिए उठाया। पहाड़ से हो रहे पलायन की पीड़ा भी बयां की इसी मुद्दे पर उन्होंने अपने बेटे कविलास नेगी को लेकर एक गीत लिखा जो काफी प्रसिद्ध हुआ।

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नरेंद्र सिंह नेगी केवल वास्तविकता में विश्वास रखते हैं। इसीलिए उनके सभी गाने सच्चाई पर आधारित होते हैं और समाज की जीती जागती सच्चाई को प्रदर्शित करते है। यही कारण है कि नरेंद्र सिंह नेगी उत्तराखण्ड के लोगों के दिल के बहुत करीब है। गढवाली गायक होने के बावजूद नरेंद्र सिंह नेगी को कुमाऊंनी लोग भी बहुत पसंद करते हैं। हालाँकि कुमाऊंनी लोगो को गढवाली पूरी तरह से समझ नहीं आती है फिर भी सभी कुमाऊंनी लोग नरेंद्र सिंह नेगी के गानों को बहुत पसंद करते हैं।

नरेंद्र सिंह नेगी कई फिल्मों में गीतों को अपनी आवाज भी दी है गीतकार बनने से पहले से ही नरेंद्र सिंह नेगी मो. रफी के बहुत बड़े फैन थे और उनके गीतों को गाया करते थे बड़े गीतकार होने के बावजूद नेगी की जीवन शैली आम और सादी ही रही उनकी पत्नी ऊषा नेगी ने भी उनका हौसला बढ़ाती रही नेगी के एक बेटा है कविलास नेगी और बेटी है रितु नेगी नरेंद्र सिंह नेगी अबतक 1200 से भी ज्यादा गीत गा चुके हैं उनके दौर में कई नए कलाकार आए और छाए मगर इसके बावजूद नेगी की लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई।

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