महिला और तनाव मानो चोली-दामन का साथ। यह साथ और पक्का तब हो जाता है, जब महिला कामकाजी हो। यहां हो सकता है मैंने आपकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो, लेकिन यह सच है। इसकी पुष्टि 2012 में हुए एक अध्ययन में भी की गई है। इस अध्ययन के परिणाम चौंकाने वाले थे। क्या आप यकीन करेंगी कि महिलाओं के तनाव के मामले में 21 देशों में भारत सबसे आगे है? इस तनाव का असर कामकाजी महिलाओं पर मधुमेह, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, अवसाद के रूप में सामने आ रहा है। आप अपने घर और ऑफिस के बीच लंबे समय तक संतुलन बरकरार रख सकें, इसके लिए तनाव के बेकाबू होने से पहले ही उसे नियंत्रित करना जरूरी है।
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समाधान दिलाएंगे राहत
जिंदगी है तो समस्याएं भी हैं। हां, किसी के पास कुछ कम और किसी के पास कुछ ज्यादा। बढ़ती-घटती ये समस्याएं अकसर तनाव का कारण भी बन जाती हैं। इनको कम रखने या फिर यूं कहें कि खुद को तनाव से बचाए रखने में आपका नजरिया आपकी मदद कर सकता है। अब आप सोच रही होंगी कि वो भला कैसे? काउंसलर और साइकोलॉजिस्ट शैफाली अग्रवाल कहती हैं कि सकारात्मक सोच आपके तनाव को कम कर सकती है। इसके लिए आप अपनी पसंद की चीजें कर सकती हैं जैसे ड्राइंग, कुकिंग आदि। ऑफिस या घर की जिन बातों और मुद्दों पर हमारा जोर नहीं है, उन पर उलझने की बजाय उनका समाधान तलाशना बेहतर विकल्प है।
खानपान रखें हेल्दी
आपाधापी, घड़ी के भागते कांटे और जिम्मेदारी… सुबह-सुबह आपके पैरों में पहिए लगा देते हैं। नतीजा, आप अपनी खुराक के साथ आसानी से समझौता कर जाती हैं। पोषण से भरी थाली की जगह जंक फूड ले लेता है। बस, यहीं से आपकी समस्या में इजाफा हो जाता है। इस बाबत न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. भारती दीक्षित कहती हैं कि जंक और ऑयली खाने में मौजूद अतिरिक्त तेल और सोडियम उच्च रक्तचाप और हार्मोन के असंतुलन का कारण बन जाता है। वहीं, दूसरी ओर इस तरह का खानपान खाते रहने से इनकी लत लग जाती है। जब हमें वह खाना नहीं मिलता है तो न सिर्फ तनाव बढ़ता है, बल्कि मन भी चिड़चिड़ा हो जाता है। ऐसे में बेहतर यही होगा कि तमाम व्यस्तताओं के बावजूद आप दूसरों के साथ-साथ अपनी खुराक का भी ख्याल रखें।
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परफेक्ट होना जरूरी नहीं
कामकाजी महिलाओं का जिक्र आते ही एक ऐसी तस्वीर उकेरी जाती है, जिसमें उसके ढेर सारे हाथ और उसके कंधों पर ढेर सारी जिम्मेदारियां होती हैं। सब कामों में उसके परफेक्ट होने की उम्मीद भी रखी जाती है। उस उम्मीद की कसौटी पर खरा उतरना भी महिला के तनाव का बड़ा कारण बन जाता है। शैफाली की मानें तो मिसेज परफेक्ट होने का ख्याल जेहन से निकाल दीजिए। मौके की मांग और हालात की नजाकत के हिसाब से काम का चुनाव और वरीयता तय कीजिए। खुद पर काम का दबाव कम करने के लिए घर में मौजूद लोगों के बीच उनकी उम्र और कार्यक्षमता के अनुसार कामों का बंटवारा करना फायदे का सौदा हो सकता है।
योग बनाएगा काम
घर और बाहर के काम की जद्दोजहद के बीच तनाव का ग्राफ बढ़ना लाजमी है। खींचा-तानी, उठा-पटक के बीच खुद के लिए निकाले गए कुछ पल आपके लिए खासे मददगार साबित होंगे। इस समस्या के समाधान में योग, ध्यान, सुबह की सैर सरीखे उपाय आप में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाएंगे। खुद को न समझें अपराधी अकसर कामकाजी माएं इस अपराध भाव से ग्रसित रहती हैं कि वो अपने बच्चों को समय नहीं दे पा रही हैं। यह अपराध-बोध आपके किसी भी काम नहीं आने वाला। ऐसे में आपकी स्विच ऑफ करने की कला आपके लिए मददगार साबित होगी। ऐसा करने से आप बेहतर पेरेंटिंग की कला सीख पाएंगी। आप जितना भी वक्त अपने बच्चों के साथ गुजारती हैं, उस समय ऑफिस की चिंताओं को एक किनारे रख कर उनके साथ समय बिताएं। ऐसा करने से न सिर्फ आप अपराध बोध से बचेंगी, बल्कि ऊर्जावान भी महसूस करेंगी।
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नियोजन आएगा
काम हफ्ते भर भागती जिंदगी के बीच एक अदद छुट्टी की दरकार सभी को होती है। यकीनन आपको भी उसका बेसब्री से इंतजार होता होगा। पर पीछे छूटे कामों और अगले हफ्ते की तैयारी में छुट्टी का वो दिन व्यस्ततम दिन में बदल जाता है। नतीजा, तनाव। छुट्टी का दिन भी काम के साथ शुरू हो जरूरी नहीं। एक अच्छी प्लानिंग के साथ दिन की शुरुआत कीजिए। आवश्यकतानुसार काम को तरजीह दीजिए। अपनी पसंद के कामों में समय बिताइए, जो कि आपको पूरे हफ्ते ऊर्जा देने का काम करेंगे।