उत्तराखंड के लोकगायक पदमश्री जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण अपनी लोक कला एवं संस्कृति के लिए सदैव समर्पित रहते हैं,चाहे कोई भी त्यौहार हो या उत्सव प्रीतम भरतवाण अपने प्रशंसकों को बधाई देना नहीं भूलते,इनका बधाई सन्देश भी संगीतमय होता है,इन दिनों जागर सम्राट अपने पैतृक गाँव के भ्रमण पर हैं जहाँ से उन्होंने एक बहुत ही खूबसूरत सन्देश अपने गीत के माध्यम से दिया है।
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उत्तराखंड जितनी अपनी लोकसंस्कृति के लिए देश में विशेष पहचान रखता है,उतनी ही उत्कृष्ट यहाँ की शिल्पकला भी है,आज भी उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में ऐसी कलाकारी का नजारा देखने को मिलता है जो अपने आप में अद्भुत है,तकनीक के इतने विकसित न होने के बाद भी पुराने समय के कलाकारों ने अपनी शिल्पकला की बहुमूल्य छाप छोड़ी है जो आज भी देखने में काफी आकर्षक लगते हैं ,पत्थरों से बने मकान एवं लकड़ी पर की गई नक्कासी अपने आप में अद्भुत है आज के दौर में इनकी कल्पना करना भी मुश्किल है।
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जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण का अपनी जड़ों से काफी लगाव है और एक लोकगायक होने के नाते वो अन्यों को भी इससे जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं,अपने गांव के दौरे पर प्रीतम भरतवाण ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वो एक तिबारी जिसे मुंडेर या छज्जा कहते हैं। यह उत्तराखंड में काष्ठ कला का एक उत्कृष्ट नमूना है जो लकड़ी पर उकेरे गए चित्र की बेजोड़ कला है,इसमें देवी देवताओं के चित्र एवं रंग बिरंगे रंग बिखरे रहते हैं।
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इसी तिबारी में बैठकर जागर सम्राट ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वो अपना ही प्रसिद्ध गीत तिबारी मा बैठी होली सौंजडया मेरी गुनगुनाया और इसे अपने फेसबुक पेज से भी शेयर किया,ये कला अब मात्र एक इतिहास बनती जा रही है जिसे समय के साथ संजोना बेहद आवश्यक है तभी उत्तराखंड की लोक संस्कृति एवं विरासत जीवंत रह सकती है।
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आज के दौर में गीत संगीत सब डिजिटल हो चुका है आज हजारों प्लेटफॉर्म्स हैं जहाँ पर गीत संगीत उपलब्ध है लेकिन प्रीतम भरतवाण का ये गीत उस दौर में रिकॉर्ड हुआ था जब सीडी,वीसीडी का जमाना था,तब रिलीज़ हुई टक्क एल्बम का ये गीत आम जन मानस की जुबां पर चढ़ा रहता था और आज भी सुनते ही वही दौर याद दिला जाता है। इसके वीडियो में बदी समाज के लोग इस गीत को गाते नजर आ रहे हैं,जो अब कम ही देखने को मिलती है,यह गीत एक करुणा गीत है जो पति पत्नी के रिश्ते की दूरी का अनुभव कराता है,गीत के बोल आज भी उतने ही आकर्षक एवं नए लगते हैं ;पंख होंदा मेरी प्यारी में उडी ऐजांदू, छाती लगे जिया भोरी गौला लांदु।
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आप भी प्रीतम भरतवाण की आवाज में रिकॉर्ड इस गीत को सुनकर अपनी यादों को ताजा करें।
पदमश्री जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण का ये सन्देश जरूर सुनें।