उत्तराखंड में अपने गीतों से लाखों दिलों पे बसने वाले इंदर आर्या का जब भी कोई नया गीत आता है, तो उनके चाहने वालें खुशी से मानो झूम उठते हैं, इनके गाने लोगों को खूब पसंद आते हैं, अपने गीतों से लोगों को एंटरटेन करने वाले है इंदर आर्या का अब नया गीत रिलीज हो गया है, जिसके टायटल से लेकर कन्सेफ्ट उनके अभी तक के सभी गीतों बेहद ही अलग है l गायक ने नीब करोली बाबा का बहुत ही सुंदर भजन ‘Neem Karoli Baba’तैयार किया है। भजन को सोशल मीडिया पर खूब सुना जा रहा है।
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अपने इस नए भजन से इंदर आर्या ने एक बार फिर सभी के दिलों को जीत लिया है, जिसका अंदाजा आप इससे लगाए कि हर दूसरे मिनट इस गाने पर व्यूज की गिनती बढ़ती जा रही है, इंदर आर्या जिनके गीतों को सोशल मीडिया पर स्पेशल अटेंशन मिलता है जो उनके इस गाने को लेकर भी देखने को मिल रहा है, Vinod joshi के लिखे नीम करोली बाबा भजन को इंदर की आवाज ने और भी शानदार बनाया जिसमें लाजवाब संगीत Ranjeet Singh द्वारा दिया गया है l
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अगर आप इंदर आर्या के डाई हार्ट फैन के साथ नीम करोली बाबा के भक्त भी हैं तो आपने जरूर नोटिस किया गया है कि उनके अक्सर गीतों से पहाड़ी संस्कति और अध्भुत कलाओं को दिखाया जाता है, बस वही कॉन्सेप्ट आपको उनके इस भजन में भी दिखेगा बस अंदाज थोड़ा अलग होगा l बता दें गायक ने इस भजन को अपने यूट्यूब चैनल के बैनर तले दर्शकों के बीच साझा किया है जिसे गायक ने प्रमोशनल वीडियो में बनाया है जिसमें गायक खुद बाबा की भक्ति में लीन दिखते नजर आ रहें है l
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नीम करौली बाबा या नीम करौरी बाबा या महाराजजी की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है इनका जन्म स्थान ग्राम अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश है जो कि हिरनगाँव से 500 मीटर दूरी पर है।कैंची, नैनीताल, भुवाली से ७ कि॰मी॰ की दूरी पर भुवालीगाड के बायीं ओर स्थित है। कैंची मन्दिर में प्रतिवर्ष १५ जून को वार्षिक समारोह मानाया जाता है। उस दिन यहाँ बाबा के भक्तों की विशाल भीड़ लगी रहती है। महाराजजी इस युग के भारतीय दिव्यपुरुषों में से हैं। श्री नीम करोली बाबा को हम महाराज जी कहते है|ऐसा माना जाता है कि जब तक महाराजजी 17 वर्ष के थे| | उनको इतनी छोटी सी आयु मे सारा ज्ञान था| बताते है , भगवान श्री हनुमान उनके गुरु है| उन्होंने भारत में कई स्थानों का दौरा किया और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाने जाते थे। गंजम में मां तारा तारिणी शक्ति पीठ की यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों ने उन्हें हनुमानजी, चमत्कारी बाबा के नाम से संबोधित किया करते थे।
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