अगर आप भी महादेव के भक्त हैं और महाशिवरात्रि के दिन महादेव का व्रत रखते हैं तो उस खबर को अंत तक पढ़िए। महाशिवरात्रि का व्रत करने से शिवभक्तों पर भगवान भोलेनाथ की अधिक कृपा बरसेगी। इस बार महाशिवरात्रि पर तीन अद्भुत संयोग बन रहे हैं। पहला शनि प्रदोष का योग, दूसरा सर्वार्थ सिद्धि योग और तीसरा सूर्य एवं शनि का एक ही राशि में गोचर करना। ऐसे में इस बार महाशिवरात्रि का व्रत करने से शिवभक्तों पर अधिक कृपा बरसेगी। बता दें कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
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प्रथम प्रहर की पूजा शाम छह बजकर 20 मिनट से रात्रि नौ बजकर 30 मिनट तक तथा दूसरे प्रहर रात नौ बजकर 30 मिनट से रात 12 बजकर 40 मिनट और तीसरे प्रहर की पूजा रात 12 बजकर 40 मिनट से सुबह तीन बजकर 50 मिनट तक वही चौथे प्रहर की पूजा सुबह तीन बजकर 50 मिनट से सुबह सात बजे तक बता दें 18 फरवरी को रात लगभग आठ बजे चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी। जो अगले दिन शाम को लगभग चार बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी।
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इस बार महाशिवरात्रि के दिन शनिवार का दिन पड़ने से शनि प्रदोष का योग बन रहा है। शनि प्रदोष व्रत अपने आप में बहुत ही खास होता है। शनि प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से संतान कामना की पूर्ति होती है। दूसरा इसी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी पड़ रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में कोई भी कार्य करने से पूर्ण सिद्धि प्राप्त होती है। और तीसरा लगभग 30 वर्ष बाद सूर्य और शनि यानी पिता-पुत्र की एक साथ कृपा प्राप्त होगी। क्योंकि सूर्य और शनि एक साथ शनि की कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इस दिन व्रत रखकर चार प्रहर भगवान शिव की पूजा करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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