उत्तराखंड संगीत जगत में गुंजन डंगवाल(gunjan dangwal) के नाम की गूँज चहों ओर सुनाई देती है और इस बार तो उनकी गंज्याली(ganjyali ) भी अपनी गूंज से उत्तराखंड के कोनों कोनों तक पहुँच रही है।यूट्यूब पर गंज्याली गीत 1.5 लाख दर्शक देख चुके हैं।
कहते हैं न संगीत उसी को फल देता है जो इसका सच्चा साधक होता है और ऐसे ही एक साधक हैं उत्तराखंड के चर्चित गायक गुंजन डंगवाल जिन्होंने शुरुआत तो गायन से की थी लेकिन समय के साथ साथ इनकी रूचि संगीत के प्रति बढ़ती गई और आज उत्तराखंड के जाने माने म्यूजिक डायरेक्टर हैं,जिनके संगीत की दुनिया कायल हो चुकी है और हर बार उनके फैंस गुंजन से कुछ नया करने की उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं.और गुंजन भी कभी अपने श्रोताओं को हताश नहीं करते हमेशा उनकी उम्मीदों पर खरे उतरते हैं और उम्मीद से अधिक ही करके दिखाते हैं।
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आजकल यूट्यूब पर इनका एक ऑडियो गीत खूब पसंद किया जा रहा है जिसे गंज्याली(ganjyali )नाम दिया गया है आप सोच रहे होंगे ये कैसा नाम अगर आपने कभी पहाड़ों में जीवन बिताया हो या उसे समझने की कोशिश भर भी की हो तो आपको पता होगा गंज्याली(मूसल)एक ऐसा यंत्र या साधन कह सकते हैं जो कि पहाड़ी घरों में ओखली का जोड़ीदार है और धान कूटने के काम आता है लेकिन आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि इस लकड़ी के डंडे पर भी कोई गीत लिखा जा सकता है,लेकिन मन में लगन एवं कुछ करने का हौसला हो तो ये भी संभव हो जाता है।
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कहते हैं जहाँ न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि जी हाँ ये कथन सत्य साबित करके दिखाया है इस गीत के रचियता प्रदीप लिंगवाण ने जो कि वर्तमान में रेडियो खुशी मसूरी में उद्धघोषक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और समाज को अपने विचारों से नई राह दिखाने का कार्य कर रहे हैं ,और इस गीत में अपने अनुभवों का अहसास श्री कैलाश डंगवाल ने इसमें अतिरिक्त शब्दावली जोड़कर करा दिया और एक बार फिर दिखला दिया कि क्यों उन्हें लोग इस भाषा का असल जानकार बताते हैं और गढ़वाली भाषा के रिसर्च सेंटर के नाम से श्री कैलाश डंगवाल को संगीत जगत से जुड़े लोग जानते हैं।
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गीत तो लिखा गया और पिरोया गया शब्दों की माला में अब इसे संगीत से सजाना बाकी था और ये पहुंचा गुंजन डंगवाल तक और अब परिणाम सबके सामने है गंज्याली अब एक महीने में ही 1.5 लाख लोगों की पसंद बन चुकी है। इस गीत को आवाज गुंजन ने दी और धुन रणजीत सिंह ने दी है।ऐसे गीतों की रचना के पीछे कई लोगों का हाथ होता है वैसे ही कुछ नाम हैं अनिल केशव पंवार,अमित राणा जिन्होंने इसमें आर्टवर्क का काम किया है,मोशन वीडियो राहुल रावत एवं गुंजन ने मिलकर बनाया है।
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ऐसी नवीनतम रचनाएँ उत्तराखंड संगीत जगत को नई दिशा में ले जाने का कार्य करती हैं और निश्चित रूप से अन्य युवाओं को भी इससे प्रेरणा मिलती है। इसमें ऐसे शब्द हैं जो आने वाले समय में इतिहास बन जाएंगे क्योंकि जब वर्तमान पीढ़ी इसे जानने की कोशिश ही नहीं करेगी तो भावी पीढ़ी को क्या बताएगी। अगर आपको गढ़वाली भाषा को समझने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो आपकी सुविधा के लिए सबटाइटल के रूप में इन कठिन शब्दों का हिंदी अर्थ भी बताया गया है।
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चलिए फिर आप और हम साथ ही सुनते हैं ये शानदार रचना गुंजन की गंज्याली। और बधाई देते हैं गंज्याली की पूरी टीम को इस शानदार रचना के लिए।