गढ़रत्न नेगी ने गाया अपने भूमियाल देव ‘कंडोलिया बाबा’ का स्तुति जागर !! जानें कंडोलिया देव का इतिहास ! पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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negi da kandoliya stuti

गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की आवाज में पौड़ी गढ़वाल स्थित कंडोलिया बाबा का जागर अनिल बिष्ट एंटरटेनमेंट चैनल पर रिलीज़ हुआ है ,कई समय से श्रोता बाबा कंडोलिया का जागर सुनना चाहते थे। पौड़ी के भूमियाल देव हैं कंडोलिया बाबा। संगीतप्रेमियों का इन्तजार आखिरकार समाप्त हुआ और पहाड़ की आवाज नरेंद्र सिंह नेगी के स्वरों में ये गीत रिलीज़ हुआ है।

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पौड़ी गढ़वाल का नजारा देखना हो तो कंडोलिया बाबा के मंदिर से रमणीक दृश्य दिखता है,देवदारों की छाया में बसे कंडोलिया बाबा पौड़ी के भूमियाल देव हैं। कंडोलिया बाबा के जागर की रचना अद्वैत बहुगुणा ने की है ,पौड़ी गढ़वाल के गीतकार ,संगीतकार एवं गढ़रत्न नरेंद्र सिंह ने अपने भूमियाल देव की स्तुति की है,दर्शक लम्बे अरसे से कंडोलिया बाबा के जागर को लेकर काफी उत्सुक थे और अब सभी की उत्सुकता समाप्त हो चुकी है।

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वीडियो निर्देशन अनिल बिष्ट ने किया है और छायांकन की भूमिका सुरेंद्र बिष्ट ने निभाई। बाबा के जागर को संगीत एच्.सोनी पमपम ने दिया है,जागर सुनने से पूर्व कंडोलिया मंदिर और बाबा कंडोलिया का इतिहास जानना भी जरुरी है।

आइये जानें कुछ खास बातें :
कंडोलिया मंदिर , पौड़ी गढ़वाल शहर से 2 किमी. की दूरी पर स्थित धार्मिक , पवित्र एवम् प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर कंडोलिया देवता को समर्पित है , जो स्थानीय भूमियाल देवता हैं । मंदिर में भगवान शिव जी की कंडोलिया देवता के रूप में पूजा होती है| यह धार्मिक स्थान महान हिमालय की चोटियों और गंगवारस्यून घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है ।कण्डोलिया देवता चम्पावत क्षेत्र के डुंगरियाल नेगी जाति के लोगों के इष्ट “गोरिल देवता” है । प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण इस क्षेत्र में ऊंचे-ऊंचे चीड़ , देवदार, बांज, बुरांश, काफल इत्यादि के सघन वृक्ष हैं ।इस मंदिर के समीप ही खूबसूरत पार्क और खेल परिसर भी स्थित है । धार्मिक मान्यता है कि कई वर्ष पूर्व कुमाऊं की एक युवती का विवाह पौडी गांव में डुंगरियाल नेगी जाति से हुआ था । विवाह के बाद वह युवती अपने ईष्ट देवता को कंडी (छोटी टोकरी) में रखकर लाई थी। इसके बाद से कुमाऊं के इन देवता को “कंडोलिया देवता” के नाम जाना जाने लगा और उनकी पूजा पौडी गांव में भी शुरू कर दी गई । मान्यता है कि बाद में देवता गांव के ही एक व्यक्ति के स्वप्न में आए और आदेशित किया कि मेरा स्थान किसी उच्च स्थान पर बनाया जाए । इसके बाद कंडोलिया देवता को पौडी शहर से ऊपर स्थित पहाडी पर स्थापित किया गया । स्थापना के बाद से ही कंडोलिया मंदिर न्याय देवता के रूप में प्रसिद्ध हो गए । वर्ष 1989 में पौडी गांव निवासी पद्मेंद्र सिंह नेगी, पृथ्वी पाल सिंह चौहान एवं सुरेंद्र नैथानी ने कंडोलिया देवता के मंदिर में विधिवत रूप से पूजा अर्चना करने की परंपरा शुरू की, तब से हर साल यहां तीन दिवसीय पूजा-अर्चना होती है । इस तीन दिवसीय आयोजन में यहां सैकडों श्रद्धालु मनौतियां मांगने आते हैं ,तो कई मनौतियां पूर्ण होने पर घंटा , छत्र आदि चढाते हैं ।

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कंडोलिया मंदिर का नाम “कंडोलिया” कैसे पड़ा ?
कंडोलिया मंदिर के बारे में कहा जाता है कि डुंगरियाल नेगी जाति के पूर्वजों ने गोरिल देवता से इस स्थान पर निवास करने का अनुरोध किया था , जिन्हे वे अपने साथ पौड़ी गांव लाये थे। पौड़ी गांव के लोग अपनी वृद्धावस्था के कारण अपने ईष्टदेव को “कण्डी” में लाये थे । पहले उन्होने अपने ईष्टदेव की स्थापना पौड़ी गांव के पंचायती चौक में की थी लेकिन यह स्थान गहराई में होने के कारण “गोरिल देवता” ने स्वयं को शिखर पर स्थापित करने को कहा । इसके बाद पौड़ी नगर के शीर्ष शिखर पर ईष्ट देवता की स्थापना की गई एवम् स्थानीय क्षेत्रपाल के रूप में देवता की पूजा की जाने लगी । यह कहा जाता है कि पौड़ी गाँव के ईष्ट देवता को इस स्थान पर कण्डी में लाया गया था अत: इसलिए पौड़ी गांव के ईष्ट देवता को “कन्डोलिया देवता” के नाम से जाना जाने लगा । कुछ समय के पश्चात आसपास का क्षेत्र भी “कण्डोलिया” के नाम से पहचाना जाने लगा । स्थानीय जन समाज में कंडोलिया देवता को बोलन्दा देवता के रूप में पूजा की जाती है | सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जब भी कंडोलिया देवता को किसी घटना या विपत्ति का एहसास होता है ,तो कंडोलिया देवता सारे नगर में आवाज़ लगाकर नगरवासियों को सावधान कर देते है |

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कंडोलीया देवता मंदिर पौड़ी अपने प्रियजनों के साथ एक प्यारा समय बिताने लिए एक बेहतरीन स्थान है।

Hillywood News
Rakesh Dhirwan

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