वन अधिकारी समीर सिन्हा की चौंकाने वाली पोस्ट: न बोलूं तो कैसा आईना?

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समीर सिन्हा की सोशल मीडिया पोस्ट ने चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है, “न बोलूं सच तो कैसा आईना, मैं बोलूं जो सच बोलूं तो चकनाचूर हो जाऊं…”। इस पोस्ट के बाद लोग उनके बयान के निहितार्थ तलाशने लगे हैं, खासकर जब से उन्हें प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की कुर्सी से हटा दिया गया है।यह पोस्ट उनकी नाराजगी और असंतुष्टता को दर्शाती है, लेकिन इसके पीछे की असली वजह क्या है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। क्या यह उनकी बर्खास्तगी के खिलाफ एक बयान है या फिर कुछ और? लोग इस पोस्ट को लेकर कयास लगा रहे हैं और इसके मतलब की तलाश कर रहे हैं।

दरअसल, हर साल स्थानांतरण होते हैं, यह सामान्य प्रक्रिया है। पर वन महकमे में हाल के तबादले चर्चाओं में रहे हैं। वन विभाग में सबसे पहले आईएफएस के तबादले 19 जुलाई को हुए। 30 जुलाई को प्रभारी डीएफओ की तैनाती का आदेश जारी हुआ। फिर नौ अगस्त को राजाजी टाइगर रिजर्व के पद पर मुख्य वन संरक्षक राहुल को तैनाती का आदेश जारी हुआ।

इस आदेश को लेकर चर्चाएं होने लगीं। मामला तूल पकड़ने के बाद वन मंत्री ने स्थिति साफ की। शासन ने तीन सितंबर को सीसीएफ राहुल को हटा दिया। राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक का चार्ज तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव समीर सिन्हा को मिला। इसके बाद सचिवालय स्तर पर वन अनुभाग में कई के कार्य क्षेत्र में बदलाव कर दिया गया। वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारी व सीएम के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते को विशेष सचिव से कार्यमुक्त कर दिया गया।

तबादले से खुश नहीं
24 सितंबर को फिर आईएफएस अफसरों की तबादला सूची जारी की। इसमें प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव पद पर तैनात समीर सिन्हा को सीईओ कैंपा बनाया गया। इस पद करीब दो महीने पहले तैनात हुए रंजन मिश्रा को प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की जिम्मेदारी दी गई। कैंपा सीईओ के पद पर दो महीने में तीसरी बार बदलाव किया गया। उनकी इस पोस्ट के बाद यह चर्चा होने लगी कि वे इस तबादले से खुश नहीं है। ऐसे में वह एक साहित्यक पोस्ट के जरिए अपनी व्यथा को कहने की कोशिश रहे हैं।