पहली अदाकारा जिसे मिला पदमश्री पुरस्कार, फातिमा राशिद से ‘‘नरगिस’’ बनने तक का सफर

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एक जून 1929 को ब्रिटिश शासित कलाकार, बंगाल में जन्मी नरगिस का असली नाम फातिमा राशिद था। इनके पिता का नाम अब्दुल राशिद और माॅ जछनबाई भारतीय सिनेमा की अग्रणी गायिकाओं में से एक थी। बचपन में मां के साथ कुछ फिल्मों में फातिमा राशिद ने नरगिस के नाम से कई किरदार निभाये और इस तरह फातिमा राशिद हिन्दी सिनेमा की सुपरस्टार नरगिस बन गयी।

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नरगिस डाॅक्टर बनकर समाज सेवा करना चाहती थी उन्हें फिल्मों में काम नहीं करना था लेकिन माॅं की इच्छाओं के लिए नरगिस ने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। हिन्दी सिनेमा के पहले सुपरस्टार शोमैन राजकपूर के साथ नरगिस की जोड़ी बहुत हिट रही, इन दोनों ने पहली बार 1948 में राजकपूर के ही निर्देशन में बनी फिल्म आग में काम किया था।

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पर्दे के साथ साथ लोगों को इन दोनों की कैमेस्ट्री रियल लाइफ में भी पंसद आयी दोनों का रिश्ता 9 साल तक चला लेकिन जब राजकपूर ने अपनी पत्नी को तलाक देने से मना कर दिया तो उसी दिन इस रिश्ते का अंत हो गया। 11 मार्च 1958 को नरगिस और सुनील दŸा ने शादी कर ली। मगर इंडिया के अलावा इन दोनों ने 1964 में यांदे फिल्म में एक साथ काम किया है।

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सुनील और नरगिस के तीन बच्चे संजय नम्रता और प्रिया हुये। शादी के बाद अपने पति के सहयोग से नरगिस ने अजन्ता कल्चरल ट्रूप की स्थापना की। इस समूह में उस समय के कई जाने माने अभिनेता और गायक शामिल थे। यह समूह देश की अलग अलग सीमाओं मेें जाकर वहां के सिपाहियों का मनोरंजन करता था। नरगिस भारतीय मंदबुद्धि और अपाहिज समाज की पहली संरक्षक बनी उनके सामाजिक योगदान और समाज सेवा को देखते हुए नरगिस को 1980 में राज्य सभा के लिए नामित किया गया।

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नरगिस बीमारी के कारण अपना कार्यकाल पूरा नही कर पाई और कार्यकाल के पहले ही साल में उनका निधन हो गया। महबूब खान के निर्देशन में 25 अक्टूबर 1959 को रिलीज हुई फिल्म मदर इंडिया हिन्दी सिनेमा की सबसे क्रांतिकारी फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में नरगिस, सुनील दत्त, राजेन्द्र कुमार और राजकुमार मुख्य भूमिका में थे, सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्मों में से एक है।

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मदर इंडिया पहली भारतीय फिल्म रही जिसे ऑस्कर में बेस्ट विदेशी भाषा की कैटेगरी में नामित किया गया। यूरोपिय देशों में भी इस फिल्म ने सफलता के परचम गाढ़े। वर्ष 1958 में भारत सरकार द्वारा हिन्दी सिनेमा और कला के क्षेत्र में विशेष योगदान देने के लिए नरगिस को देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पदमश्री दिया गया। इतना ही नहीं नरगिस के सम्मान में दिसम्बर 1993 में भारतीय डाक द्वारा नरगिस की तस्वीर वाला एक रूपये का डाक टिकट जारी किया गया।

अशोक नेगी की रिपोर्ट