तुलसी उद्यान मंच पर चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, संस्कृत विभाग उत्तर प्रदेश, उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान लखनऊ द्वारा आयोजित रामोत्तसव कार्यक्रम में कई प्रदेश से आए कलाकरों ने दी प्रस्तुतियां। प्रथम प्रस्तुति असम की मानस कलिता एवं दल की कीर्तन की प्रस्तुति बहुत मनभावन लगी जबकि दुसरी प्रस्तुति उत्तराखंड की चंचल रावत की छपेली नृत्य जिसमें पशुओं के लिए चारा काटकर रास्ते मे पतली पतली पगडंडियों से चलकर आते वक्त रास्ते मे बहुत ही मस्ती के साथ झूमेलो झूमेलो गाते झूमते नाचते हुए मस्त मौला स्वभाव में गाते और नृत्य करते हुए घर आते हैं जिसे छपेली नृत्य कहा जाता है।
क्या आप जानते हैं ? गीता उनियाल ने उत्तराखंड की इन प्रसिद्ध फिल्मों में अभिनय किया है।
इसके बाद प्रयागराज की रागनी चंद्रा की लोक गायन बधाई गीत आगे -आगे मुनीराई साथे – साथे दोनों भाई ..गंगा और जमुना के निर्मल धार बहे.. सोहर गीत आज अयोध्या में आए श्री राम बधाइयां बजने लगे.. डहे लगिन अंजनि वीर हनुमान यह प्रस्तुति बहुत मनभावन लगी दर्शकों ने बहुत पसंद किया इसके बाद हरियाणा की संदीप एवं दल द्वारा हरियाणा का घुमर नृत्य जिसमें महिलाएं अपने पति रिझाती है मानती है गहनों के लिए आभूषण के लिए उसी को गाकर नृत्य कर मांग करती हैं इन्ही कलाकरो के द्वारा हरियाणवी फाग होली रे होली आई रंग बिरंगे होली रे.. जिसे होली के दूसरे दिन मनाया जाता है जिस प्रकार मथुरा में लठमार होती होती है उसी प्रकार यहां पर कपड़े से बनाया हुआ एक रस्सी जिसे कोडा बोलते हैं उसी से महिलाएं फाग खेलती हैं।
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यह फाग नृत्य महिला और पुरुष दोनो खेलते है इसके बाद प्रयागराज की आलोक नायर की सीता स्वयंवर नाटक जब राम जी फुलवारी में फूल तोड़ने जाते हैं धनुष को उठाने और धनुष को तोड़ने के दृश्य को सीता स्वयंवर नाटक मे प्रस्तुति दी इसके बाद गया हेमराज राजस्थान के कलाकारो द्वारा गैर घूमरा नृत्य यह एक जनजाति समुदाय द्वारा किया जाने वाला नृत्य है यह नृत्य शुभ मांगलिक अवसरों पर महिला और पुरुष दोनो द्वारा थाली,कुंडी,शहनाई के साथ ताल और थाप पर किया जाता है यह नृत्य पूरी रात खेला जाता है इसे खेलना कहा जाता है महिलाएं हाथ में डंडा और रुमाल हाथ में लिए नृत्य करती है यह नृत्य महिला और पुरुष दोनों करते या नृत्य लाल और गीत गाकर किया जाता है। इसके बाद श्रावस्ती के कर्मवीर एवं दल थारू जनजाति का हुडदुगवा नृत्य जिसे दशहरे के अवसर पर किया जाता है की प्रस्तुति बहुत ही शानदार रही इसके बाद प्रयागराज की सोनाली चक्रवर्ती की नृत्य नाटिका की प्रस्तुति को सभी ने सराहा