बेडू पाको बारामासा, पहाड़ों में बेड़ू न खाया तो क्या खाया

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बेड़ू पाको बारा मासा’ गाना उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकगीत है, जिसका मतलब है कि बेड़ू (Bedu Fruit) ऐसा फल है जो पहाड़ों में 12 महीने पकता है l ये महज लोकगीत की पंक्तियां नहीं है। बल्कि यह लोकगीत रचयिता (लेखक) बृजेन्द्र लाल शाह तथा मोहन उप्रेती का अपने पहाड़ में मिलने वाले फलों के प्रति सम्मान का भाव है। बेड़ू उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला जंगली फल है, जिसे पहाड़ी अंजीर (Himalayan Fig) भी कहते हैं l

 बेडू –

उत्तराखंड राज्य में कई प्राकृतिक औषधीय वनस्पतियां पाई जाती हैं, जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही अधिक फायदेमंद होती हैं। बेडू मध्य हिमालयी क्षेत्र के जंगली फलों में से एक है। समुद्र के स्तर से 1,550 मीटर ऊपर स्थानों पर जंगली अंजीर के पौधे बहुत ही सामान्य होते हैं। यह गढ़वाल और कुमाऊँ के क्षेत्रों में इनका सबसे अच्छे से उपयोग किया जाता है। जैसा की उक्त गानों की पंक्तियों में आपने पढ़ा की बेडू पाको बारह मासा, इन पंक्तियों में ही इस के उपलब्धता के रहस्य छुपे हैं। बेडू सालभर उगने वाला फल है। यदि हम उत्तराखंड के परपेक्ष्य में बात करे तो बेडू को स्थानीय भासा में “ तिमला” भी कहा जाता है। हालाँकि ये तिमले से भिन्न है क्यूंकि तिमला पक कर लाल हो जाता है जबकि बेडु काला । अक्सर ये पेड़ जंगलों में बहुत कम पाए जाते हैं। गाँवों के आसपास, बंजर भूमि, खेतों आदि में उगते हैं। यह मीठा और रसदार होता है, जिसमें कुछ कसैलापन होता है, इसके समग्र फल की गुणवत्ता उत्कृष्ट है।

 

औषधीय गुणों से भरपूर है पहाड़ी फल बेड़ू  –

बेड़ू में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। यह फल औषधीय गुणों से भी भरपूर है। यह कई बीमारियों से लड़ने में मददगार है। इसमें विटामिन सी, प्रोटीन, वसा, फाइबर,सोडियम, फास्फोरस,कैल्शियम और लौह तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। बेडु के फल सर्वाधिक मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होने के साथ.साथ इसमें बेहतर एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाये जाते हैं जिसकी वजह से बेडु को कई बिमारियों जैसे तंत्रिका तंत्र विकार तथा जिगर की बिमारियों के निवारण में भी प्रयुक्त किया जाता है बेडू का उपयोग वसंत की प्रारंभिक सब्जी के रूप में भी किया जाता है। उन्हें पहले उबाला जाता है और फिर निचोड़ कर पानी निकाला जाता है। फिर उनसे एक अच्छी हरी सब्जी तैयार की जाती है। इसक फल कच्चा मीठा रसीला होता है । बिना फलों और युवा अंकुरों को पकाया जाता है और सब्जी के रूप में भी खाया जाता है । इस फल की खासियत को देखते हुए स्थानीय बोली में एक गीत भी खूब प्रचलित है। जिसमें एक पंक्ति में बताया गया है बेडू पाको बारो मासा, ओ नरणी काफल पाको चौता मेरी छैला अर्थात बेडू 12 महीनों पकता है। यह गीत विश्व में उत्तराखंड के लोगों के लिए खास प्रसिद्ध है।

बेडू फल के उपयोग –

बेडू फल जून जुलाई में लगता है एक पूर्ण विकसित जंगली अंजीर का पेड़ अनुकूलित मौसम में 25 किलोग्राम के आस पास फल देता है। बीज सहित संपूर्ण फल खाने योग्य होता है। बेडू के पत्ते जानवरों के लिए चारे का काम करती है यह दुधारू पशुओं के लिए काफी अच्छी मानी जाती हैं कहा जाता है कि बेडू के पत्ते दुधारू पशुओं को खिलाने से दूध में बढोतरी होती है।बेडू एक बहुत ही स्वादिष्ट फल है। पहाड़ी क्षेत्रों में सभी के द्वारा बहुत पसंद किया जाता है। बेडू फल पकने के बाद एक रसदार फल की भाती होता है। इस फल से विभिन्न उत्पादों, जैसे स्क्वैश, जैम और जेली बनाने के काम भी आता है।